उदयपुर के पास अनदेखी घूमने की जगह - Madar Talab Aur Thur Ki Pal in Hindi

उदयपुर के पास अनदेखी घूमने की जगह - Madar Talab Aur Thur Ki Pal in Hindi, इसमें उदयपुर के पास घूमने की अनदेखी जगहों के बारे में जानकारी दी गई है।

Badi Madar Talab 8

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आज हम आपको उदयपुर की प्रसिद्ध फतेहसागर झील को पानी से भरने वाली उस झील के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे बेड़च नदी के पानी को रोक कर बनाया गया है।

साथ ही हम इस झील से जुड़ी हुई उन दो जगहों के बारे में भी बताएँगे जो बारिश के मौसम में एक सुंदर पिकनिक स्पॉट बन जाती हैं।

पहाड़ों के बीच में मौजूद इन दोनों जगहों पर लबालब पानी भरा रहता है। बारिश के मौसम में जब यह पानी छलकने लग जाता है तो यहाँ पर आने वाले लोगों का मन खुशी से झूम उठता है।

तो चलिए आज हम उदयपुर के पास स्थित इन तीनों जगहों, बड़े और छोटे मदार तालाब के साथ थूर की पाल को करीब से देखते हैं। आइए शुरू करते हैं।

बड़ी और छोटी मदार लेक की यात्रा और विशेषता - Trip and specialty of Madar Lakes


उदयपुर के पास बड़गाँव से आगे पहाड़ों के बीच में मदार गाँव है। इस गाँव के बगल से बेड़च नदी निकलती है। गाँव के पास दो तालाब या झील हैं जिन्हें बड़ी मदार लेक और छोटी मदार लेक कहते हैं।

बड़ी मदार झील - Badi Madar Lake


मदार गाँव के पास पहाड़ों के बीच में घनी हरियाली के बीच बड़ी मदार लेक पर एक बाँध बना हुआ है जिसकी भराव क्षमता 24 फीट है।

इस बाँध में बेड़च नदी का पानी आता है। आपको बता दें कि बेड़च नदी, गोगुंदा के पास की पहाड़ियों से निकल कर शिवालिक बाँध होते हुए बड़ी मदार झील में आती है।

जब गोगुंदा से मदार तक के क्षेत्र में अच्छी बारिश होती है तब बेड़च नदी में काफी पानी आ जाता है। कई बार यह झील पूरी भर कर छलक जाती है जिससे बाँध पर चादर चलने लग जाती है।

बाँध पर चादर चलने के समय यहाँ का नजारा काफी आकर्षक हो जाता है। लोग यहाँ पर घूमने और पिकनिक मनाने के लिए आने लगते हैं।

बाँध से देखने पर दूर-दूर तक इस झील का पानी दिखाई देता है। बाँध की दीवार काफी मोटी है जिसके दूसरी तरफ खेती भी होती है।

बाँध की दीवार पर से देखने पर चारों तरफ पहाड़ ही पहाड़ दिखाई देते हैं। बारिश के मौसम में घनी हरियाली वाले इन पहाड़ों में इतनी ज्यादा शांति और सुंदरता है कि यहाँ आने के बाद वापस जाने का मन ही नहीं करता है।

कई बार अखबारों में ऐसी खबरें आती हैं कि बड़े मदार तालाब में कुछ मगरमच्छ रहते हैं जो कई बार गाँव में रिहायशी इलाकों में आ जाते हैं।

वैसे गाँव के आस पास का क्षेत्र जंगली होने के कारण इसमें अजगर और तेंदुए तो अकसर दिखाई देते रहते हैं इसलिए आप जब भी इस क्षेत्र में जाएँ तो थोड़ी सावधानी जरूर बरतें।

छोटी मदार झील - Chhoti Madar Lake


बड़ी मदार लेक से लगभग साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी पर छोटी मदार लेक बनी हुई है। छोटी मदार लेक में बेड़च का पानी नहीं आता है। इसमें इसके आस पास के पहाड़ों से ही पानी आता है।

बड़ी मदार से बहकर आने वाला बेड़च नदी का पानी, छोटी मदार से पहले रिविएरा मदार रिसॉर्ट (Riviera Madaar Resort) के सामने से होकर थूर की पाल में चला जाता है।

बारिश के मौसम में कई बार बेड़च नदी में इतना ज्यादा पानी आ जाता है कि सड़क को पार करना मुश्किल हो जाता है। नदी के अंदर पानी के साथ बहकर आए हुए पेड़ पौधे इकट्ठे हो जाते हैं।


इस छोटी मदार झील की खास बात यह है कि यह बड़ी मदार से छोटी जरूर है लेकिन सुंदरता में उससे बिल्कुल भी कम नहीं है।

बरसात में जब इसकी पाल पर से पानी बहने लग जाता है, तब लोग यहाँ पर भी मौज मस्ती करने के लिए आ जाते हैं। पाल के पास में हनुमान जी की सुंदर प्रतिमा बनी हुई है।

छोटी मदार लेक का पानी भी ओवरफ्लो होने के बाद बेड़च नदी में मिलकर थूर की पाल में चला जाता है।

थूर की पाल की यात्रा और विशेषता - Tour and Speciality of Thur Ki Pal


अगर थूर की पाल के बारे में बात करें तो यह बेड़च नदी पर बना एक एनिकट है जो बड़गाँव से कविता रोड पर थूर गाँव के पास में है। इसमें बड़ी और छोटी मदार लेक का मिला जुला पानी आता है।

थूर की पाल के ओवरफ्लो होने पर इसका पानी चिकलवास फीडर जाता है। यहाँ से यह पानी दो हिस्सों में डिवाइड होता है जिसका एक पार्ट मदार नहर के द्वारा फतेहसागर झील में और दूसरा पार्ट आयड़ नदी के रूप में बहकर उदयसागर झील में जाता है।

बारिश के मौसम में थूर की पाल, उदयपुर के पास एक महत्वपूर्ण टूरिस्ट प्लेस बन जाती है। यहाँ पर देशी विदेशी टूरिस्टों के अलावा उदयपुर शहर से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

पाल के पास धर्मेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर होने के कारण इस जगह पर सावन के महीने में पिकनिक के साथ भोलेनाथ के दर्शन भी हो जाते हैं।

इस जगह को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रशासन ने पाल के डाउन स्ट्रीम में लगभग 150 मीटर की दूरी पर एक छोटे एनीकट के साथ कुछ घाट बनाने की योजना बनाई है।

मदार लेक और थूर की पाल कैसे जाएँ? - How to go Thur Ki Pal and Madar Lake?


अब हम बात करते हैं कि मदार लेक और थूर की पाल कैसे जाएँ? थूर की पाल से छोटी मदार और फिर यहाँ से बड़ी मदार लेक की कुल दूरी 10 किलोमीटर से कम है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से मदार कस्बे की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। यहाँ पर जाने के लिए आपको उदयपुर से बड़गाँव, लोयरा, थूर होकर जाने वाले रोड़ पर थूर की पाल से थोड़ा पहले लेफ्ट साइड से जाना होगा।

अगर आप लेफ्ट साइड में ना जाकर इसी रोड़ पर थोड़ा सा आगे जाएँगे तो आपको लेफ्ट साइड में रोड से 100-150 मीटर दूर थूर की पाल दिखाई दे जाएगी। बारिश के मौसम में तो यहाँ पर मेला सा लगा रहता है।

मदार जाने के बाद आप बड़ी और छोटी मदार लेक दोनों में से किसी को भी देख सकते हैं। छोटी मदार लेक तक तो आप बाइक या कार किसी से भी जा सकते हैं।

लेकिन आपको ये ध्यान रखना है कि बड़ी मदार लेक की पाल तक ये दोनों ही नहीं पहुँच सकती है। यहाँ पर आपको छोटी नहर के साथ लगभग आधा पौन किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है।

बारिश के मौसम में इस नहर के दोनों तरफ घनी हरियाली रहती है, साथ ही बाँध से बहते पानी की आवाज भी सुनाई देती है। घनी हरियाली के बीच पैदल चलना बड़ा आनंद देता है।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

मदार लेक और थूर की पाल की मैप लोकेशन - Map Location of Madar Lake and Thoor Ki Paal





मदार लेक और थूर की पाल का वीडियो - Video of Madar lakes and Thoor Ki Pal



मदार लेक और थूर की पाल की फोटो - Photos of Madar lakes and Thoor Ki Pal


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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