राजस्थान की सबसे खतरनाक जगह - Tilkeshwar Mahadev Mandir Beran in Hindi

राजस्थान की सबसे खतरनाक जगह - Tilkeshwar Mahadev Mandir Beran in Hindi, इसमें खाई के अंदर राजस्थान के सबसे खतरनाक मंदिर के बारे में बताया गया है।

Tilkeshwar Mahadev Mandir Beran in Hindi

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महादेव की महिमा निराली है। अकसर इनका ठिकाना बड़ी दुर्गम जगहों पर होता है। कई जगह तो ऐसी होती हैं कि वहाँ पर पहुँचना बड़ा नामुमकिन सा लगता है।

लेकिन भक्ति और आस्था के सामने किसी की नहीं चलती। अगर भक्त के दिल में अपने आराध्य के दर्शन करने का जज्बा है तो दुर्गम रास्ते भी आसान बन जाते हैं।

आज हम महादेव के एक ऐसे ही ठिकाने की यात्रा करने वाले हैं जहाँ पर पहुँचना बड़ा मुश्किल है। यह स्थान धार्मिक होने के साथ-साथ अपने आप में एक एडवेंचर भी है।

इस जगह पर जाने के लिए अरावली की पहाड़ियों के बीच में लगभग 100 फीट सीधी गहरी खाई में जंजीरों के सहारे उतरना पड़ता है।

तो आइये आज के इस सफर को शुरू करते हैं और जानते हैं कि ये जगह कौनसी है? यहाँ पर ऐसा क्या विशेष है जो सभी को इस जगह पर आने के लिए मजबूर कर देता है? 

तिलकेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा और विशेषता, Tilkeshwar Mahadev Mandir Ki Yatra Aur Visheshta


यह स्थान चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। बारिश के मौसम के बाद ये पहाड़ हरियाली से हरे हो उठते हैं। इस मौसम में ये पहाड़ सीताफल के पेड़ों से भरे नजर आते हैं।

इस एरिया में बहुत ज्यादा सीताफल लगते हैं। ये सीताफल कैरट में पैक होकर गुजरात सप्लाई होते हैं। यहाँ पर आपको सीताफल का एक पूरा कैरट मात्र 100 रुपये में मिल जाता है।

जिस तरह से इस मंदिर में भोलेनाथ के दर्शन करना अपने आप में रोमांचक है, ठीक उसी तरह से हरी भरी पहाड़ियों के बीच सर्पिलाकार सड़क पर घूमते हुए यहाँ तक आना भी काफी आनंददायक है।

जैसा कि हमने आपको शुरुआत में बताया कि आज हम एक दुर्गम खाई में लोहे की जंजीरों की सहायता से नीचे उतर कर भोलेनाथ के दर्शन करने वाले हैं, तो आपके मन में आगे जानने की जिज्ञासा पैदा हो रही होगी।

सबसे पहले हम आपको बता देते हैं कि यह स्थान एक शिव मंदिर है जो पहाड़ों के बीच, एक गहरी खाई में गुफा के अंदर स्थित है। इस मंदिर को तिलकेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।


दरअसल यह मंदिर सफेद चट्टानों के बीच लगभग 100 फीट गहरी खाई में नीचे एक गुफा के अंदर है। इन सफेद चट्टानों के बगल से ही एक नदी बह रही है।

इस नदी का पानी पूरे साल बहता रहता है जिसकी वजह से इन चट्टानों के बीच में भी पानी भरा रहता है। भोलेनाथ के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु यहाँ स्नान करते नजर आ जाते हैं।

इस नदी का पानी एक झरने के रूप में पूरे साल महादेव की गुफा के सामने गिरता रहता है। बारिश के मौसम में यह झरना बहुत तेज हो जाता है।

झरने से गिरने के बाद यह पानी वापस एक नदी के रूप में बदल जाता है और आगे जाकर सवाई नदी में मिल जाता है। इसके बाद नदी का यह पानी जवाई बाँध में चला जाता है।

सफेद पत्थरों के बगल में से थोड़ा नीचे उतरने पर वो जगह आती है जहाँ से हमें लोहे की जंजीरों के सहारे नीचे उतरना है। अगर बगल में देखें तो नदी का पानी भी बह रहा होता है।

लोहे की कई जंजीरे पेड़ों और चट्टानों से इस तरीके से बाँधी गई है कि नीचे उतरते समय इन्हें पकड़ कर उतर पाएँ। इन जंजीरों को पकड़ कर बड़ी सावधानी के साथ नीचे उतरना पड़ता है। 

इस खाई में उतरना भी अपने आप में एक चुनौती है। यह खाई ज्यादातर जगह से एक दम सीधी है यानी खाई में एक दम सीधा नीचे की तरफ उतरना पड़ता है।

ऊपर से देखकर तो ऐसा लगता है कि नीचे कैसे उतर पाएँगे लेकिन भोलेनाथ की कृपा से सब संभव हो जाता है। अगर लोहे की जंजीर नहीं हो, तो उतरना नामुमकिन है। 

बारिश के मौसम के इस खाई में भी पानी बहता रहता है जिसकी वजह से इसमें जगह-जगह काई जमा हो जाती है। इस काई की वजह से पैर फिसलने लग जाते हैं।

खाई में थोड़ा नीचे उतरने के बाद एक छोटी सुरंग जैसी जगह से गुजरना पड़ता है। थोड़ा और नीचे उतरने के बाद एक लोहे की सीढ़ी नजर आती है।

सीढ़ी की सहायता से गुफा के अंदर उतरने के बाद जो दृश्य नजर आता है वो बड़ा अद्भुत है। ऐसा लगता है जैसे हम भोलेनाथ के पास कैलाश पर्वत पर आ गए हों। सारा डर और परेशानी अचानक से गायब हो जाते हैं।

गुफा के अंदर पानी बह रहा है और लगभग 15-20 फीट की ऊँचाई पर भोलेनाथ विराजमान है। भोलेनाथ के सामने गुफा के मुँह पर झरना बह रहा है। झरने के आगे एक तालाब भरा हुआ है।

भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए लोहे की दो सीढ़ियाँ लगी हुई है। इन सीढ़ियों पर चढ़कर भोलेनाथ के दर्शन करने के बाद मन में बड़ी शांति मिलती है।

गुफा के अंदर एक छोटी गुफा और है जिसमें लगभग 15 फीट अंदर भोलेनाथ विराजमान है। यहाँ पर पूरे वर्ष, पवित्र जल से भोलेनाथ का अपने आप अभिषेक होता रहता है।

सावन के महीने में यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ आती है। उस समय यहाँ का नजारा देखने लायक होता है। पूरी गुफा शिवजी के जयकारों से गूंज उठती है।

तिलकेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास, Tilkeshwar Mahadev Mandir Ka Itihas


ऐसा बताया जाता है कि प्राचीन समय में राजा तिलक के राज्य में धन संपदा की कमी हो गई जिससे पूरे राज्य में गरीबी छाने लगी। तब राजा तिलक ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए इस स्थान पर कठोर तपस्या की।

राजा ने कई वर्षों तक शिवजी का तिल से अभिषेक किया। भोलेनाथ ने राजा तिलक की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें आजीवन सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया।

ऐसा कहा जाता है कि उस समय के बाद से यह स्थान तिलकेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा।

यहाँ पर ऐसी मान्यता है कि जो भी कोई मुट्ठी भर तिल भोलेनाथ को अर्पित करता है उसके घर में सुख और समृद्धि आ जाती है।

तिलकेश्वर महादेव मंदिर का समय, Tilkeshwar Mahadev Mandir Ka Samay


यह मंदिर चौबीसों घंटे और सातों दिन खुला ही रहता है लेकिन जब गुफा के अंदर दिन में जाना ही इतना दुर्गम है तो रात में तो पॉसिबल ही नहीं है।

दूसरा यह एक जंगली एरिया है इसलिए यहाँ पर जंगली जानवर होने की भी संभावना होती है, इसलिए आप जब भी यहाँ पर जाएँ तो सूर्यास्त से पहले ही लौट कर आ जाएँ।

तिलकेश्वर महादेव मंदिर में प्रवेश शुल्क, Tilkeshwar Mahadev Mandir Me Entry Fee


इस मंदिर में प्रवेश करने का कोई शुल्क नहीं है। यहाँ पर प्रवेश निशुल्क है।

तिलकेश्वर महादेव मंदिर के आस पास घूमने की जगह, Tilkeshwar Mahadev Mandir Ke Paas Ghumne Ki Jagah


तिलकेश्वर महादेव के आस पास देखने के लिए ऐसी कोई विशेष जगह तो नहीं है। वैसे भी अगर आप उदयपुर से तिलकेश्वर महादेव जा रहे हैं तो आपको पूरे दिन कुछ और देखने का समय ही नहीं मिल पाएगा।

लेकिन यदि आप सुबह जल्दी निकल कर दोपहर तक अगर फ्री हो जाएं तो वापस लौटते समय गोगुन्दा में महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक वाली जगह देख सकते हैं।

तिलकेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ?, Tilkeshwar Mahadev Mandir Kaise Jayen?


तिलकेश्वर महादेव की उदयपुर रेलवे स्टेशन से दूरी लगभग 85 किलोमीटर है। यहाँ जाने के लिए आपको उदयपुर से पिण्डवाड़ा हाईवे पर गोगुन्दा होते हुए जाना होगा।

गोगुन्दा से आगे इसी हाईवे पर दो टनल भी आती हैं। इनसे आगे जाने पर देवला (Devla) से कुछ पहले तिराहे पर राइट साइड में जाना होता है। यहाँ एक कार्नर पर RJ 27 तिलकेश्वर महादेव रेस्टोरेन्ट बना हुआ है।

उदयपुर से यहाँ तक फोर लेन हाईवे है। यहाँ से आगे लगभग 18 किलोमीटर की दूरी सिंगल रोड के जरिये करनी होगी।

इस तिराहे से लगभग 7 किलोमीटर आगे हेरल कला (Heral Kala) गाँव का तिराहा आता है। आपको इस तिराहे पर राइट साइड वाले रोड़ पर जाना है।

आगे मेवाडो का मठ (Mewaron Ka Math) होते हुए राई (Rai) गाँव से थोड़ा आगे पहाड़ियों में तिलकेश्वर महादेव जाना है। ये सड़क भी तिलकेश्वर महादेव तक ही जाती है, आगे रास्ता बंद हो जाता है।

कुल मिलाकर उदयपुर से तिलकेश्वर महादेव तक जाने में जो मजा है उससे दुगना मजा खाई में नीचे उतरने में है। अगर आप भोलेनाथ के दर्शन के साथ एडवेंचर का मजा लेना चाहते हैं तो आपको यहाँ जरूर जाना चाहिए।

तिलकेश्वर महादेव मंदिर उदयपुर की मैप लोकेशन, Tilkeshwar Mahadev Mandir Udaipur Ki Map Location



तिलकेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Tilkeshwar Mahadev Mandir



तिलकेश्वर महादेव मंदिर उदयपुर की फोटो, Tilkeshwar Mahadev Mandir Udaipur Ki Photos


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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