राजस्थान में कश्मीर जैसी बर्फीली वादियाँ - Kishangarh Dumping Yard in Hindi

राजस्थान में कश्मीर जैसी बर्फीली वादियाँ - Kishangarh Dumping Yard in Hindi, इसमें किशनगढ़ मार्बल डम्पिंग यार्ड के स्नो यार्ड में बदलने की कहानी है।

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राजस्थान अपने बड़े-बड़े किलों, महलों, बावड़ियों और रेगिस्तान के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ पर जहाँ एक तरफ मीलों दूर तक फैले रेत के टीले हैं वहीं दूसरी तरफ पहाड़ और जंगल भी हैं।

इसी राजस्थान में माउंट आबू जैसा हिल स्टेशन भी है जहाँ पर गर्मियों के मौसम में भी गर्मी का एहसास नहीं होता है और इसी राजस्थान में उदयपुर जैसी झीलों की नगरी भी है।

लेकिन अगर हम आपको ये कहें कि राजस्थान में एक ऐसी जगह भी है जहाँ पर जाने पर आपको कश्मीर जाने जैसा एहसास होगा तो शायद आप इसे झूठ मानेंगे।

लेकिन ये बिल्कुल सच है। राजस्थान में एक ऐसी जगह है जो पूरे 12 महीने बर्फ से ढकी रहती है। यहाँ पर चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है।

तो आज हम चलते हैं राजस्थान की इस अनोखी जगह पर और जानते हैं उस जगह के बारे में जहाँ पूरे साल बर्फ मौजूद रहती है। तो आइए शुरू करते हैं।

किशनगढ़ डंपिंग यार्ड की यात्रा और विशेषता - Kishangarh Dumping Yard Tour and Features


जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि इस जगह पर पूरे साल बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। यहाँ पर आप जिधर भी देखेंगे, आपको सिर्फ बर्फ की सफेद चादर बिछी दिखाई देगी।

चारों तरफ पहाड़ों से घिरी इस जगह पर दूर-दूर तक सिर्फ बर्फ के पहाड़ और बर्फ के टीले ही दिखाई देते हैं। यहाँ पर ऐसा लगता है जैसे आप चारों तरफ बर्फ के पहाड़ों से घिरे हुए हों।

बर्फ के बीच में एक तालाब भी है जिसका पानी एकदम काँच जैसा साफ और नीला है। बर्फ के बीच में एकदम नीला पानी ऐसे लगता है जैसे आप हिमालय पर्वत पर किसी झील के पास आ गए हों।

बर्फ की सफेद परत के बीच में यह नीला पानी इसे आइसलैंड जैसा लुक देता है। इसलिए इस स्थान को राजस्थान का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।

बारिश के मौसम में यहाँ पर कई जगह पानी भर जाता है जिससे कई दूसरे छोटे-छोटे तालाब और बन जाते हैं। बारिश के समय यहाँ का नजारा देखने लायक होता है।

यह जगह फिल्मों और गानों की शूटिंग, वीडियोग्राफी, फोटो-शूट आदि के लिए काफी प्रसिद्ध हो गई है। देश भर से लोग यहाँ पर इस काम के लिए आने लग गए हैं।

यहाँ पर कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है और इस जगह पर टाइगर श्रॉफ, अनिल कपूर, प्रभु देवा, हनी सिंह, नोरा फतेही, अरिजीत सिंह, कपिल शर्मा, सोनाक्षी सिन्हा, सपना चौधरी जैसे लोग शूटिंग के लिए आ चुके हैं।


यहाँ पर कपिल शर्मा की "किस किसको प्यार करूँ", टाइगर श्रॉफ की "बागी 3", अनिल कपूर की "थार", सलमान खान की "दबंग 3" जैसी फिल्मों के गानों की शूटिंग हो चुकी है।

ये जगह प्री-वेडिंग फोटोशूट के लिए भी काफी प्रसिद्ध है और अकसर कई जोड़े प्री-वेडिंग फोटोग्राफी के लिए यहाँ आते रहते हैं।

हाल ही में इस जगह पर एक हेलीपैड भी बनाया गया है ताकि फिल्म और एलबम शूट करने वालों को सीधा यहाँ आने का रास्ता मिल जाए। हेलीपैड की सुविधा से यह जगह अब ज्यादा लोगों की पहुँच में आ जाएगी।

राजस्थान में इतनी बर्फ कैसे आई? - How did so much snow come to Rajasthan?


इस जगह के बारे में इतना जानने के बाद आपके मन में यह प्रश्न जरूर उठ रहा होगा कि राजस्थान के गरम माहौल में चारों तरफ बर्फ कैसे संभव है? आखिर यह जगह कौनसी है?

हम इस जगह के बारे में आपको बता देते हैं। यह जगह किशनगढ़ मार्बल डम्पिंग यार्ड है जिसमें मार्बल व ग्रेनाइट ब्लॉक की कटिंग के दौरान निकलने वाले पाउडर यानी स्लरी को डाला जाता है।

यह स्लरी पानी के साथ गीली होती है लेकिन सूखने पर सफेद चूरे में बदल जाती है। इस जगह पर चारों तरफ बिखरी ये बर्फ असली नहीं है बल्कि मार्बल की यही स्लरी है।

बर्फीली वादियों में कैसे बदला किशनगढ़ मार्बल डम्पिंग यार्ड? - How Kishangarh Marble Dumping Yard transformed into snowy valleys?


जैसा कि आप जानते ही होंगे कि अजमेर का किशनगढ़ कस्बा अपने मार्बल व्यवसाय के कारण पूरे भारत में बड़ा प्रसिद्ध है। यहाँ पर बड़ी तादाद में मार्बल की माइंस हैं।

माइंस से निकले हुए इस मार्बल की कटाई का काम बहुत बड़े पैमाने पर होता है। मार्बल को काटने के बाद जो हजारों लीटर स्लरी निकलती है उसे इस डम्पिंग यार्ड में डाला जाता है।

यह स्लरी प्रदूषण को बढ़ाती है और खतरनाक होती है। अगर इसे उपजाऊ जमीन पर डाला जाए तो कुछ समय के बाद वह जमीन बंजर हो जाती है यानी खेती करने लायक नहीं रहती है।


इस स्लरी को केवल एक ही जगह पर डालने के लिए वर्ष 2005 में लगभग 322 बीघा में फैला यह डम्पिंग यार्ड शुरू किया गया। जैसे-जैसे यहाँ पर स्लरी की मात्रा बढ़ती रही, वैसे-वैसे यह यार्ड बर्फीली वादियों का रूप लेता गया।

आज यह डम्पिंग यार्ड एक टूरिस्ट प्लेस का रूप ले चुका है। यहाँ पर हजारों की संख्या में टूरिस्ट आने लग गए हैं।

किशनगढ़ डंपिंग यार्ड में प्रवेश शुल्क - Kishangarh Dumping Yard Entry Fee


अगर एंट्री फीस की बात करें तो सामान्य टूरिस्ट के लिए किशनगढ़ डंपिंग यार्ड में प्रवेश के लिए किसी भी प्रकार का कोई प्रवेश शुल्क या टिकट नहीं है। वाहन की पार्किंग भी फ्री है।

यहाँ पर प्रवेश के लिए आपको पास में ही स्थित किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के ऑफिस में जाकर परमिशन लेनी पड़ती है।

फोटो और वीडियो के लिए मोबाईल फोन का कोई शुल्क नहीं लगता लेकिन वीडियो कैमरे का शुल्क लगता है। प्री-वेडिंग फोटोशूट और शूटिंग के लिए शुल्क लगता है।

किशनगढ़ डंपिंग यार्ड का समय - Kishangarh Dumping Yard Timings


अगर टाइमिंग की बात करें तो किशनगढ़ डंपिंग यार्ड के खुलने का समय सुबह 10 बजे और बंद होने का समय शाम को 5 बजे है। शाम को 4 बजे के बाद में किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता है।

किशनगढ़ डंपिंग यार्ड कैसे जाएँ? - How to reach Kishangarh Dumping Yard?


यह डंपिंग यार्ड अजमेर के पास किशनगढ़ कस्बे में बना हुआ है। यहाँ जाने के लिए हमें सबसे पहले किशनगढ़ जाना होगा।

आप बस या कार से किशनगढ़ जा सकते हैं क्योंकि यह कस्बा जयपुर-अजमेर एक्स्प्रेसवे के द्वारा जयपुर और अजमेर दोनों शहरों से जुड़ा हुआ है।

अजमेर रेलवे स्टेशन से स्नो यार्ड की दूरी लगभग 32 किलोमीटर और जयपुर रेलवे स्टेशन से स्नो यार्ड की दूरी लगभग 105 किलोमीटर है।

किशनगढ़ रेलवे स्टेशन से स्नो यार्ड की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है। यहाँ से स्नो यार्ड जाने के लिए कई साधन मिल जाते हैं।

तो अब आप राजस्थान में बर्फीली वादियों का राज जान गए होंगे। अगर आपको राजस्थान में कश्मीर जैसी वादियाँ देखनी है तो यहाँ जरूर जाना चाहिए।

तो आज बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। ऐसी ही नई-नई जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहें।

जल्दी ही फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

किशनगढ़ डंपिंग यार्ड की मैप लोकेशन - Map location of Kishangarh Dumping Yard



किशनगढ़ डंपिंग यार्ड का वीडियो - Video of Kishangarh Dumping Yard



किशनगढ़ डंपिंग यार्ड की फोटो - Photos of Kishangarh Dumping Yard


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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