नीम के पेड़ों से प्रकट हुई थी माता - Neemach Mata Mandir Udaipur in Hindi, इसमें उदयपुर में फतेहसागर के पास नीमच या नीमज माता के बारे में बताया गया है।
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उदयपुर शहर टूरिस्ट डेस्टिनेशंस का गढ़ है। यहाँ पर नेचुरल ब्यूटी के साथ-साथ रिलीजियस प्लेसेस की भरमार है। आज हम आपको एक ऐसी लोकेशन पर लेकर चलते हैं जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ-साथ अपने धार्मिक महत्व के लिए भी जानी जाती है।
यह लोकेशन है फतेहसागर झील के निकट देवाली की पहाड़ियों के बीच में एक पहाड़ी के शिखर पर स्थित नीमच माता का मंदिर। यह मंदिर फतेहसागर की पाल से बड़ा आकर्षक दिखाई देता है।
उदयपुर रेलवे स्टेशन से नीमच माता मंदिर की दूरी लगभग साढ़े सात किलोमीटर है। यहाँ पर जाने के लिए एक रास्ता सहेलियों की बाड़ी के सामने से एवं दूसरा रास्ता फतेहसागर झील की तरफ से है।
फतेहसागर झील की तरफ से मंदिर की दूरी अधिक नहीं है लेकिन इधर से व्हीकल्स के लिए रास्ता बंद है। इधर से आप नीमच माता के मंदिर की तरफ पैदल जा सकते हैं।
नीमच माता के मंदिर के लिए मुख्य सड़क से ही तोरण द्वार दिखाई देता है। इसे पार करके अन्दर जाने पर थोड़ी दूर कुछ ऊँचाई पर व्हीकल्स के लिए पार्किंग बनी हुई है।
यहाँ से आगे जाने पर मंदिर के लिए मुख्य तोरण द्वार आता है। इस तोरण द्वार से मंदिर की चढ़ाई शुरू हो जाती है। मंदिर पर चढ़ने के लिए दो रास्ते हैं।
एक रास्ता पक्की सीढ़ियाँ के रूप में एवं दूसरा रैंप के रूप में बना हुआ है। मंदिर तक बीच-बीच में सीढ़ियाँ और रैंप आपस में मिलते रहते हैं। रैंप का निर्माण कुछ वर्षों पूर्व ही हुआ है, पहले मंदिर तक सीढ़ियों के जरिये ही पहुँचा जाता था।
अगर सीढ़ियों की बात की जाए तो इनकी कुल संख्या 596 है। अगर रैंप के जरिये चढ़ाई की बात की जाए तो कुल चढ़ाई 850 मीटर है।
चढ़ाई के बीच में एक तरफ नीमेश्वर महादेव का मंदिर बना हुआ है। जगह-जगह पर विश्राम करने के लिए जगह बनी हुई है जिनमें कुर्सियाँ लगी हुई है।
पहाड़ी की चोटी पर नीमच माता का मंदिर बना हुआ है। मंदिर के निकट एकदम खड़ी सीढ़ियाँ है जिनके नीचे से देखने पर मंदिर का एक अलग ही रूप सामने आता है।
मंदिर के गर्भगृह में पूर्ण श्रृंगार के साथ नीमच माता की भव्य मूर्ति स्थित है। गर्भगृह के बाहर माता की प्रतिमा के सामने त्रिशूल, यज्ञ वेदी एवं शेरों की प्रतिमाएँ बनी हुई है।
अगर मंदिर के इतिहास और निर्माण के सम्बन्ध में बात की जाए तो मंदिर के सेवक और पुजारी लक्ष्मी लाल के अनुसार पहले इस स्थान पर बहुत से नीम के पेड़ हुआ करते थे।
इन्हीं नीम के पेड़ों के बीच में लगभग 450 वर्ष पहले माताजी प्रकट हुई थी जिस वजह से कायस्थ भटनागर पंचोली समाज ने यहाँ पर माताजी के मंदिर का निर्माण करवाया।
बाद में सेवा पूजा करने के लिए इस मंदिर को गमेती परिवार को दान में दे दिया। वर्तमान में उसी पुजारी परिवार के वंशज यहाँ पर सेवा पूजा कर रहे हैं।
नीम के पेड़ों के बीच में से माताजी के प्रकट होने के कारण इन्हें नीमच माता या नीमज माता एवं इस मंदिर को नीमच माता मंदिर के नाम से जाना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि अगर किसी के मकान नहीं है और वो यहाँ पर पत्थर का मकान बनाता है तो उसके स्वयं का मकान बनने की मुराद पूरी हो जाती है। इसी वजह से मंदिर की सीढ़ियों के आसपास पत्थर के बहुत से छोटे-छोटे घर बने हुए नजर आते हैं।
नीमच माता को उदयपुर की वैष्णों देवी भी कहा जाता है। बारिश के मौसम में जब आसपास के सारे पहाड़ हरियाली से भर जाते है तब यहाँ का नजारा काफी मनोहारी हो जाता है।
यहाँ से फतेहसागर झील, सज्जनगढ़ का किला एवं दूधिया सफेदी लिए सम्पूर्ण उदयपुर शहर नजर आता है।
एक तरफ पहाड़ों की हरियाली एवं दूसरी तरफ झील के किनारे पर बसा उदयपुर शहर देखकर ऐसा लगता है कि जैसे हम राजस्थान में ना होकर किसी पहाड़ी राज्य में हो।
यहाँ से डूबता सूरज भी दिखाई देता है जिसको देखकर दिल खुश हो जाता है। संध्याकाल में झील के निकट टिमटिमाती रौशनी ऐसी लगती है जैसे हम आसमान में तारों को देख रहे हों।
अगर माता के दर्शनों के साथ-साथ उदयपुर शहर की खूबसूरती का नजारा करना है तो आपको यहाँ पर आकर डूबते सूरज के बीच उदयपुर शहर को अवश्य देखना चाहिए।
नीमच माता मंदिर उदयपुर की मैप लोकेशन - Map Location of Neemach Mata Mandir
नीमच माता मंदिर का वीडियो - Video of Neemach Mata Mandir
नीमच माता मंदिर उदयपुर की फोटो - Photos of Neemach Mata Mandir
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।