राजा ने रूठी रानी के लिए बनवाया महल - Ruthi Rani Ka Mahal Rajsamand in Hindi

राजा ने रूठी रानी के लिए बनवाया महल - Ruthi Rani Ka Mahal Rajsamand in Hindi, इसमें पहाड़ी पर महाराणा राज सिंह और उनकी रूठी रानी के महल की जानकारी है।

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राजस्थान में एक शहर है राजसमन्द जो अपने आगोश में कई ऐतिहासिक विरासतों को समेटे बैठा है। किसी ज़माने में इसे राजनगर के नाम से जाना था। ये वो जमाना था जब मेवाड़ पर महाराणा राजसिंह का शासन था।

महाराणा राजसिंह ने अपने राजनगर प्रवास के लिए यहाँ की एक पहाड़ी पर राजमंदिर (rajmandir) नामक महल बनवाया था। इस महल में अन्नपूर्णा माता का मंदिर स्थित है और वर्तमान में यहाँ पर वीएचएफ कण्ट्रोल रूम (vhf control room) स्थित है।

पहाड़ी पर स्थित अन्य विरासतों में रूठी रानी का महल प्रमुख है। साथ ही यहाँ पर हजरत मामू भाणेज की प्रसिद्ध दरगाह भी स्थित है।

वर्तमान में इस पहाड़ी पर स्थित इन दोनों महलों के साथ-साथ इसके परकोटे के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है।

ऐसा लगता है कि जीर्णोद्धार होने के पश्चात ये स्थान भी उदयपुर के पर्यटक स्थलों की तरह देश विदेश के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम होगा।

पहले इन महलों तक आने के लिए पैदल ही आना पड़ता था लेकिन अब यहाँ पर आने के लिए पक्की सड़क बना दी गई है।

यहाँ का प्रमुख आकर्षण महाराणा राज सिंह का महल है। यह महल उदयपुर के महलों की तरह विशाल और भव्य नहीं है लेकिन जैसा भी है वह अपने आप में अनूठा है।

महल के बाहर ही हनुमानजी की प्राचीन प्रतिमा स्थित है। इसके आस पास छोटा बगीचा सा बना हुआ है जहाँ से आस पास के प्राकृतिक दृश्यों को निहारा जा सकता है।

महल में प्रवेश करते ही सामने बड़ा चौक है जिसे कमल चौक के नाम से जाना जाता है। इस चौक में सामने बहुमंजिला महल रुपी भवन निर्मित है।

इस भवन में नक्काशी युक्त अलंकृत झरोखे बने हुए हैं। ऐसे अलंकृत झरोखे महल के बाहरी भाग में भी चारों तरफ बने हुए हैं।

दाँई तरफ पीने के पानी के लिए जल कुंड बना हुआ है। इस जल कुंड के बाहर दो स्त्रियों की आदमकद मूर्तियाँ बनी हुई है। इसके पास का परिसर पत्थर की नक्काशी युक्त जालीनुमा दीवार से कवर किया हुआ है।

इसके थोडा सा आगे सुरंगनुमा गुफा का रास्ता है। यह गुफा कहाँ पर निकलती है इसके बारे में हमें पता नहीं चल पाया।

कमल चौक से एक रास्ता दूसरे चौक की तरफ जाता है। इस चौक के चारों तरफ कक्ष बने हुए है। कई कक्ष सामान्य और कई कक्ष थोड़े भव्यता लिए हुए हैं।


कमल चौक में सामने की तरफ सीढ़ियाँ चढ़कर बाँई तरफ एक कमरे में अन्नपूर्णा माता का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में माता की भव्य मूर्ति बनी हुई है।

गौरतलब है कि मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश द्वारा महाराणा हम्मीर के समय से ही अन्नपूर्णा माता की पूजा अपनी इष्ट देवी के रूप में की जा रही है।

राजसमन्द में अन्नपूर्णा माता के मंदिर की बड़ी मान्यता है। यहाँ पर शीश नवाने और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के श्रद्धालु नियमित रूप से आते रहते हैं।

महल के पीछे की तरफ राणा राजसिंह के समय की हजरत मामू भाणेज की दरगाह बनी हुई है। इस दरगाह में मामा और भांजे की दो कब्रें बनी हुई है।

ये दोनों कब्रें दो मुस्लिम योद्धाओं की बताई जाती है। इस दरगाह के प्रति मुस्लिम समाज में बड़ी आस्था है।

महल से कुछ दूरी पर एक प्राचीन दरवाजा बना हुआ है। जीर्णोद्धार के पश्चात अब यह दरवाजा पुराने वैभव को खो चुका है।

यहाँ से आगे जाने पर राजसमन्द झील पर स्थित भव्य नौ चौकी नजर आती है। दूर पहाड़ी पर दयाल शाह के किले के साथ-साथ राजसमन्द और कांकरोली शहर नजर आते हैं।

परकोटे और बुर्जों को वापस ऐतिहासिक स्वरुप में लाने का प्रयास सफल होता नजर आ रहा है। इनकी वजह से यहाँ की सुन्दरता में चार चाँद लग रहे हैं।

इसके थोडा आगे जाने पर एक व्यू पॉइंट है जहाँ से रूठी रानी का महल नजर आता है। बारिश के मौसम मे यह स्थान बड़ा मनभावन हो जाता है।

रूठी रानी का महल पार्किंग स्थल के पास स्थित है। यहाँ तक जाने के लिए भी सड़क बनी हुई है। इस महल को महाराणा राजसिंह ने अपनी रानी के लिए बनवाया था।

कहते हैं कि जब भी कोई रानी रूठती थी तो वह इस महल में आकर रहती थी। इसे एक प्रकार का कोप भवन भी कहा जा सकता है। पहले यह महल खंडहर के रूप में तबदील हो गया था जिसका अब पूरी तरह से जीर्णोद्धार कर दिया गया है।

जीर्णोद्धार के पश्चात यह अपनी प्राचीनता को खो चुका है। दूर से देखने पर अब यह महल कम और कोई होटल अधिक नजर आता है।

कुल मिलाकर यह एक शानदार पर्यटक स्थल है जो आने वाले समय में राजसमन्द की ऐतिहासिक ख्याति में चार चाँद लगा सकता है।

रूठी रानी के महल की मैप लोकेशन - Map Location of Ruthi Rani Ka Mahal



रूठी रानी के महल का वीडियो - Video of Ruthi Rani Ka Mahal



रूठी रानी के महल की फोटो - Photos of Ruthi Rani Ka Mahal


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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