इस किले में पैदा हुए थे महाराणा प्रताप - Maharana Pratap Birthplace in Hindi

इस किले में पैदा हुए थे महाराणा प्रताप - Maharana Pratap Birthplace in Hindi, इसमें कुंभलगढ़ के उस महल की जानकारी है जिसमें महाराणा प्रताप ने जन्म लिया था।


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भारत में राजा तो बहुत हुए हैं लेकिन कुछ राजा ऐसे भी हुए हैं जिनका नाम सामने आते ही मन श्रद्धा से भर जाता है। ऐसे ही एक राजा का नाम है महाराणा प्रताप।

महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही एक ऐसे वीर योद्धा की छवि दिमाग में उभरती है जिसने अपनी स्वतंत्रता के लिए पहाड़ों और जंगलों में आम नागरिकों के साथ सामान्य जीवन जीना मंजूर किया।

महाराणा प्रताप का नाम सामने आते ही सबसे पहले दिमाग में हल्दीघाटी की हल्दी जैसी पवित्र माटी का खयाल आता है जिसे लोग आज भी बहादुरी का प्रतीक मानकर अपने माथे से लगाते हैं।

इन सभी बातों को देखकर हमारा उस धरती के बारे में जानने का मन करता है जहाँ पर इस महान हस्ती ने जन्म लेकर अपना बचपन गुजारा।

आज हम उस पावन भूमि के बारे में बात करेंगे जहाँ पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जन्म हुआ, तो आइए हम इस महायोद्धा की जन्म स्थली के बारे में जानते हैं।

महाराणा प्रताप की जन्म स्थली के बारे में जानने के लिए हमें सबसे पहले मेवाड़ के प्रसिद्ध दुर्ग कुंभलगढ़ के बारे में पता होना चाहिए।

महाराणा कुंभा द्वारा बनवाया गया कुंभलगढ़ का यह किला संकट के समय में हमेशा से ही मेवाड़ के महाराणाओं के लिए सुरक्षित जगह रहा है।

ये वही किला है जिसमें कुँवर उदय सिंह को उसकी धाय माता पन्नाधाय चित्तौड़ के दुर्ग से बनवीर के हाथों मरने से बचाकर यहाँ लाई थी।

बाद में कुँवर उदय सिंह मेवाड़ के महाराणा बने और इन्होंने उदयपुर जैसे झीलों के शहर को भी बसाया। इनका विवाह अखेराज सोनगरा की पुत्री जयवंता बाई (जीवंत कँवर) के साथ हुआ।

इन्हीं जयवंता बाई की कोख से विक्रम संवत 1597 की ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया यानी 9 मई 1540 ईस्वी के दिन कुंभलगढ़ के दुर्ग में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ।


जिस महल में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ उसे झाली रानी का महल या झाली रानी का मालिया के नाम से जाना जाता है। यह महल कुंभलगढ़ ऊँची जगह बादल महल के बगल में बना हुआ है।

सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर जाने पर महल का वह हिस्सा और कमरा नजर आता है जिसमें महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। अब इस हिस्से पर ताला लगाकर इसे बंद किया हुआ है।

ताले से बंद होने की वजह से कोई भी टूरिस्ट इस हिस्से में नहीं जा सकता है। टूरिस्ट इस हिस्से से मायूस होकर लौटते हैं क्योंकि उन्हें भारत के इस महान योद्धा की जन्म स्थली को पास से देखने का मौका नहीं मिल पाता है।

वैसे झाली रानी का यह महल बड़ा सुंदर है। महल में कई झरोखे बने हुए है। बीच के भाग में एक बड़ा गुंबद बना हुआ है। महाराणा प्रताप की जन्म स्थली होने की वजह से यह महल वीरता और श्रद्धा का अनोखा संगम दिखाई देता है।

पाली की जूनी कचहरी भी मानी जाती है महाराणा प्रताप की जन्मस्थली - Juni Kachahari of Pali is also considered to be the birthplace of Maharana Pratap


वैसे तो कुंभलगढ़ के किले में झाली रानी के महल को महाराणा प्रताप की जन्म स्थली माना जाता है लेकिन कई इतिहासकारों नें महाराणा प्रताप का जन्म पाली में उनके ननिहाल में होना माना है।

इनके अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ईस्वी को जूनी कचहरी के गढ़ में उनके नाना अखेराज सोनिगरा के यहाँ हुआ था।

ऐसा बताया जाता है कि मेवाड़ में पहले बच्चे का जन्म पीहर में होने की रस्म के चलते मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह की धर्मपत्नी रानी जयंतीबाई सोनिगरा अपने पहले प्रसव के लिए पाली में अपने पीहर आई थी। 

शहर में धानमंडी के पास जूनी कचहरी परिसर कभी महाराणा प्रताप के नाना अखेराज सोनिगरा और उनके परिवार के निवास का ठिकाना था। जर्जर होने की वजह से अंदर के भवन सालों पहले नष्ट हो गए।

जूनी कचहरी का भव्य गेट अनेक शताब्दियों से आज भी मजबूती से खड़ा है। अब इस परिसर को महाराणा प्रताप की जन्म स्थली के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहाँ महाराणा प्रताप की दो प्रतिमाएँ लगी हुई हैं जिसमें एक अश्वारूढ़ प्रतिमा है।

दो दिन क्यों मनाई जाती है महाराणा प्रताप की जयंती? - Why is Maharana Pratap's birth anniversary celebrated for two days?


आज कल महाराणा प्रताप की जयंती यानी जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा है। लेकिन क्या आपको पता है कि महाराणा प्रताप की जयंती को दो बार मनाया जाता है?

आपको इस बात को सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा कि जब जन्म एक बार हुआ है तो जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है। आइए हम आपको इसका कारण बताते हैं।

हमने आपको पहले बताया कि हिन्दू कैलंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप का जन्म विक्रम संवत 1597 में ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को हुआ था। अगर अंग्रेजी कैलंडर के हिसाब से देखें तो यह तिथि  9 मई 1540 ईस्वी के दिन आई थी।

आपको पता ही है कि भारत में अंग्रेजी और हिन्दू दोनों कैलंडरों को महत्व दिया जाता है। अब अंग्रेजी कैलंडर के हिसाब से देखें तो महाराणा प्रताप की जयंती 9 मई के दिन आती है जबकि हिन्दू कैलंडर के हिसाब से यह ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन आती है।

अगर हम अंग्रेजी और हिंदू कैलंडर के हिसाब से देखें तो ऐसा कोई संयोग नहीं बैठता जब ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया 9 मई के दिन आती हो।

बहुत से लोग हिन्दू कैलंडर के हिसाब से और बहुत से अंग्रेजी कैलंडर के हिसाब से महाराणा प्रताप की जयंती मनाते है। चूँकि ये दोनों दो अलग-अलग दिन आती है अब इसलिए महाराणा प्रताप की जयंती को दो बार मनाया जाने लगा है।

वैसे सबसे बड़ी बात यह है कि जयंती किसी भी दिन मनाई जाए, ये दोनों दिन ही बड़े पावन है। जरूरी यह है कि हम लोग इनमें से किसी भी दिन महाराणा प्रताप की जयंती मनाएँ बस उनके आदर्शों को हमेशा अपने जीवन में जरूर उतारें।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

महाराणा प्रताप जन्मस्थली की मैप लोकेशन - Map Location of Maharana Pratap Birthplace



महाराणा प्रताप जन्मस्थली का वीडियो - Video of Maharana Pratap Birthplace



महाराणा प्रताप जन्मस्थली की फोटो - Photos of Maharana Pratap Birthplace


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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