पहाड़ियों में छिपा हुआ मंदिर - Omal Somal Mandir Khandela in Hindi

पहाड़ियों में छिपा हुआ मंदिर - Omal Somal Mandir Khandela in Hindi, इसमें खंडेला के आगे सलेदीपुरा की पहाड़ियों में स्थित मंदिर के बारे में बताया है।

Omal Somal Mandir Khandela in Hindi

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खंडेला में कई धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल ऐसे भी हैं जो प्राचीन होने के साथ-साथ शिल्प एवं वास्तु कला का नायाब उदाहरण हैं। इन्हीं में से एक है सलेदीपुरा का ओमल सोमल देवी मंदिर।

यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है। मंदिर के लेख के अनुसार देवी दुर्गा को समर्पित इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में हुआ था। ऊँची जगती पर स्थित इस मंदिर में शिखर, गर्भगृह, सभामंडप आदि बने हुए हैं।

मंदिर तत्कालीन शिल्प कला का नायाब उदाहरण है। सम्पूर्ण मंदिर देवी देवताओं की कलात्मक मूर्तियों से भरा हुआ है यहाँ तक की मंदिर के बाहर सीढ़ियों के पास चबूतरे पर भी भव्य मूर्तियाँ लगी हुई है।

मंदिर में दुर्गा, चामुंडा, गज लक्ष्मी, कुबेर आदि के साथ अन्य कई देवी देवताओं की मूर्तियाँ उकेरी हुई हैं। मंदिर का सभामंडप एक ही पत्थर का बना हुआ है, छत बहु अलंकृत है जिस पर सुन्दर कारीगरी का प्रदर्शन किया गया है।

छत पर पत्थर को तराश कर गोलाकार आकृतियों में 12 राशियाँ अंकित है। मंदिर में कई जगह सुन्दर बेल बूँटे बने हुए हैं। गर्भगृह की द्वार शाखाओं यानी चौखट पर दुर्गा माता के नौ रूप उकेरे हुए हैं।

गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार पहले गर्भगृह में सुन्दर मूर्तियाँ थी जो बाद में चोरी हो गई। गर्भगृह के ऊपर सुन्दर नवगृह बना हुआ है जिसके शिखर तक देवी देवताओं की सुन्दर प्रतिमाएँ अंकित है।

मंदिर का सूक्ष्मता से निरीक्षण करने पर हमें नौ सौ वर्ष पुराने धार्मिक एवं सामाजिक जीवन के साथ-साथ स्थापत्य कला का भी ज्ञान होता है।

गौरतलब है कि यह योगिनी मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। स्थानीय मान्यता के अनुसार यह मंदिर दुर्गा माता की भक्त ओमल सोमल या ओमलदे सोमलदे (आबलदे व सोबलदे) नाम की दो बहनों की स्मृति में बना था और कालांतर में उन्हीं के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

ऐसा भी बताया जाता है कि ये दो बहने गुजरात के कुँवर उदलमान सांखला की बहने थी जो उनके साथ सती हुई थी। उदलमान सांखला दिल्ली के सम्राट पृथ्वीराज चौहान के भांजे थे।


मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने की तरफ ओमल सोमल की समाधि बनी हुई है। देखने में यह एक चबूतरे की तरह लगती है और अगर आपको पहले से पता नहीं हो तो आप इसे देखकर समझ नहीं पाएँगे कि यह कोई समाधि स्थल है।

कहने को तो यहाँ की देखरेख पुरातत्व विभाग कर रहा है लेकिन यहाँ आने पर ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता कि इसकी देखरेख होती है। ऐसा लगता है कि यहाँ पर कोई आता भी नहीं है।

इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2018 में केंद्र सरकार की ‘अडॉप्ट ए मॉन्यूमेंट - अपनी धरोहर अपनी पहचान’ नाम की योजना के तहत सीकर जिले से केवल इसी मंदिर का चयन हुआ था।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ‘अडॉप्ट ए मॉन्यूमेंट - अपनी धरोहर अपनी पहचान’ नाम की योजना के तहत राजस्थान के कई संरक्षित मंदिर, बावड़ी, किले-महल आदि स्मारकों को रखरखाव एवं संरक्षण के लिए निजी हाथों में गोद दिया जाना है।

वर्ष 2018 में पुरातत्व विभाग ने उपरोक्त योजना के लिए 14 जिलों के 27 स्मारकों की सूची तैयार कर राज्य सरकार को भेजी थी जिसका विवरण आगे दिया हुआ है।

1 सीकर से ओमल सोमल देवी मंदिर
2 चूरू से आनंदसिंह की छतरी, तारानगर और साहबा का तालाब (ढाब) व उसके किनारे निर्मित मठ व कूप
3 टोंक से सुनहरी कोठी
4 अजमेर का किला फतेहगढ़, शिव मंदिर ग्राम, शूकर वराह मंदिर बघेरा तहसील
5 भीलवाड़ा से गढ़ मांडलगढ़
6 जोधपुर में वीरों की दालान और शिव मंदिर लांबा बिलाड़ा, हर्ष देवल वरना बिलाड़ा, शिव मंदिर बावड़ी भोपालगढ़
7 बाड़मेर से मंदिर समूह किराड़ू
8 धौलपुर का तालाबशाही और पुरानी छावनी
9 भरतपुर का प्राचीन महल कामा, होल्कर की छतरी, गांगरसोली कुम्हेर
10 अलवर से इंदौर का किला, बाला किला, फतेह जंग गुम्बद
11 बारां का किला शाहाबाद
12 बूंदी की धाबाई जी का कुंड
13 बीकानेर से शासकों की छतरियाँ (राव बीकाजी की टेकरी)
14 उदयपुर के सूर्य मंदिर- टूस, शिव मंदिर पालड़ी और रामनाथ मंदिर व बावड़ी

अगर आप 900 वर्षों से अधिक पुरानी विरासत को देखकर उस समय की अनुभूति करना चाहते हो तो आपके लिए यह जगह उपयुक्त है।

ओमल सोमल मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Omal Somal Mandir



ओमल सोमल मंदिर का वीडियो - Video of Omal Somal Mandir



ओमल सोमल मंदिर की फोटो - Photos of Omal Somal Mandir


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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