शहर में करें लोक कला और संस्कृति के दर्शन - Shilpgram Udaipur in Hindi, इसमें उदयपुर शिल्पग्राम की लोक कला और संस्कृति के साथ मेले की जानकारी है।
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आपने यह तो सुना ही होगा कि भारत गाँवों में बसता है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह पर लेकर जाने वाले हैं जहाँ पर भारत बसता है।
इस जगह पर आपको भारत के कई राज्यों की सभ्यता और संस्कृति देखने के लिए मिल जाएगी। इसके साथ इन राज्यों के ग्रामीण जीवन, रहन सहन, लोक कला और संगीत जैसी चीजों को करीब से जानने का मौका भी मिलता है।
यहाँ पर हर वर्ष दिसम्बर के महीने में एक ऐसा मेला भरता है जिसमें कई राज्यों की कला और संस्कृति का ऐसा भव्य प्रदर्शन किया जाता है कि जिसे देखने के लिए पूरे भारत से हजारों Tourist आते हैं।
तो आज हम अरावली की पहाड़ियों के बीच, घनी हरियाली की चादर ओढ़ी हुई इस जगह की यात्रा करके इसे करीब से देखते हैं। आइए शुरू करते हैं।
शिल्पग्राम की यात्रा और विशेषता - Visit and features of Shilpgram
इस जगह को शिल्पग्राम के नाम से जाना जाता है। शिल्प ग्राम का मतलब है भारत के ग्रामीण जीवन की सभ्यता और संस्कृति का संग्रहालय। इसका उद्घाटन 8 फरवरी 1989 को उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने किया था।
यहाँ पर लोक कला और संस्कृति को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लोक जीवन के प्रतीकों का इस प्रकार कलात्मक प्रदर्शन किया गया है, जिसे देखकर आजकल की शहरी युवा पीढ़ी भारत के ग्रामीण जीवन को देख और समझ सके।
इस कार्य के लिए भारत सरकार ने उदयपुर के West Zone Cultural Centre के जरिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा की कला और संस्कृति को एक ही स्थान पर प्रदर्शित किया है।
अरावली की पहाड़ियों के बीच लगभग 130 बीघा जमीन पर फैले शिल्पग्राम में इन राज्यों के शिल्पकारों, मूर्तिकारों, लोक गायकों और वादकों, चित्रकारों, जुलाहों, चर्मकारों आदि के रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज, व्यवसाय और मनोरंजन को दर्शाया गया है।
इन सबको झोपड़ियों (Huts), हवेलियों, संग्रहालयों (Museums), सभागारों (Auditoriums), रंगमंचों (Stages) और बाजारों के माध्यम से दिखाया गया है।
शिल्पग्राम में आपको पूरी तरह से ग्रामीण जीवन के दर्शन होते हैं। यहाँ पर आपको ऐसा लगेगा जैसे आप इन राज्यों के किसी गाँव में घूम रहे हों।
यहाँ पर कई जगह पर कलात्मक मूर्तियाँ लगी हुई है जो आपका ध्यान अपनी तरफ जरूर आकर्षित करती है।
शिल्पग्राम की झोपड़ियाँ और हवेलियाँ - Huts and Havelis of Shilpagram
शिल्पग्राम के अंदर चारों तरफ झोपड़ियाँ और हवेलियाँ बनी हुई है जिनमें राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के आदिवासी और ग्रामीण लोगों के घर और रहन-सहन को दिखाया गया है।
इनमें राजस्थान से रामा, सम, सहरिया और ढोल झोपड़ी के साथ मामादेव का देवरा, गुजरात से बुनकर, भुजोड़ी, मालधारी और ईसाई झोपड़ी के साथ पेठापुर हवेली, गोवा से ब्राह्मण, मछुआरा और कुलम्बी झोपड़ी, महाराष्ट्र से कोल्हापुर झोपड़ी और नागालैंड से नागा मोरुंग आदि शामिल हैं।
यहाँ पर अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए इन राज्यों के कलाकार भी रहते हैं जिन्हें केंद्र सरकार सैलरी भी देती है। ये कलाकार अपने राज्य के लोक गीत और लोक नृत्य को शो के रूप में प्रदर्शित करते हैं।
रामा गाँव की झोपड़ी - Rama Village Hut
अगर हम रामा गाँव की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी राजस्थान के जैसलमेर जिले के रेगिस्तान में बसे रामा गाँव के एक भील परिवार का घर है। इसमें कमरे और रसोई के अलावा हथकरघा रखने का स्थान भी है।
सम गाँव की झोपड़ी - Sam Village Hut
अगर हम सम गाँव की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी भी राजस्थान के जैसलमेर जिले के रेगिस्तान में बसे सम गाँव के एक मध्यमवर्गीय परिवार का घर है।
इस घर की मुख्य विशेषता इसमें पाया जाने वाला पीला पत्थर है। यहाँ जीवन यापन का मुख्य स्रोत पशुधन ही है।
सहरिया की झोपड़ी - Sahariya Village Hut
अगर हम सहरिया की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी राजस्थान के कोटा जिले में अरावली के बीच बसी सहरिया जनजाति के परिवार का घर है। इनका प्रमुख व्यवसाय खेती करने के साथ जंगली उत्पाद इकट्ठे करना है।
बुनकर की झोपड़ी - Bunkar Hut
अगर हम बुनकर की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी गुजरात के वड़ोदरा के छोटा उदयपुर के एक बुनकर परिवार का घर है। इसमें बुनकर के करघे और चरखे के लिए बरामदा बना होता है।
ब्राह्मण झोपड़ी - Brahmin Hut
अगर हम ब्राह्मण झोपड़ी की बात करें तो यह झोपड़ी गोवा के वास्को के एक हिन्दू परिवार का घर है। इस घर का मुख्य हिस्सा तुलसी मठ या स्तम्भ के रूप में है।
ईसाई झोपड़ी - Christian Hut
अगर हम ईसाई झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी, गुजरात के एक ईसाई परिवार का घर है। इसके सामने एक क्रॉस का निशान होता है।
मछुआरा झोपड़ी - Fisherman Hut
अगर हम मछुआरा झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी, गोवा के समुद्र के किनारे बसने वाले ईसाई मछुआरे का घर है। इनका मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना है।
कुलम्बी झोपड़ी - Kulambi Hut
अगर हम कुलम्बी झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी, गोवा के ग्रामीण क्षेत्रों में बसने वाले किसान का घर है। कुलम्बी समुदाय गोवा के सबसे पुराने समुदायों में से एक है।
पेठापुर की हवेली - Pethapur Haveli
अगर हम पेठापुर की हवेली के बारे में बात करें तो यह हवेली गुजरात के गाँधीनगर के पेठापुर कस्बे की लकड़ी की बनी दो मंजिला हवेली है। पेठापुर कस्बा छपाई के ब्लॉक बनाने के लिए प्रसिद्ध है।
भुजोड़ी की झोपड़ी - Bhujodi Hut
अगर हम भुजोड़ी की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी गुजरात के भुज जिले के भुजोड़ी गाँव के कच्छी रेबारियों का आवास है।
इस झोपड़ी की खास बात लकड़ी के ढाँचे पर खपरैल लगी हुई इसकी छत है। ये छत मिट्टी और इससे पुते पत्थरों से तैयार की जाती है।
नागा मोरुंग - Naga Morung
अगर हम नागा मोरुंग के बारे में बात करें तो यह नागालैंड का एक आदिवासी घर है जिसे मोरुंग या युवा छात्रावास कहा जाता है।
कोल्हापुर की झोपड़ी - Kolhapur Hut
अगर हम कोल्हापुर की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी महाराष्ट्र के कोल्हापुर के चर्मकार का घर है। कोल्हापुर अपने चमड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है।
बन्नी के मालधारी की झोपड़ी - Banni Maldhari Hut
अगर हम बन्नी के मालधारी की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी गुजरात के भुज जिले के बन्नी क्षेत्र के मालधारी मुस्लिम समुदाय का घर है। एक कमरे वाली यह झोपड़ी गोल होती है।
ढोल की झोपड़ी - Dhol Hut
अगर हम ढोल की झोपड़ी के बारे में बात करें तो यह झोपड़ी राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुंदा क्षेत्र के ढोल गाँव के कुम्हार का घर है। दो मंजिल की इस झोपड़ी में पाँच कमरे बने हैं।
मामादेव का देवरा - Mamadev Ka Devra
अगर हम मामादेव के देवरे की बात करें तो यह उदयपुर जिले के जसवंतगढ़ क्षेत्र के पशुओं के रक्षक लोक देवता मामादेव का स्थान हैं।
शिल्पग्राम के संग्रहालय और सभागार - Museum and Auditorium of Shilpagram
शिल्पग्राम के अंदर कई संग्रहालय और सभागार बने हुए हैं जिनमें किसी में मिट्टी के खिलौने और बर्तन, किसी में चित्रकारी और किसी में कठपुतलियों का जीता जागता संसार है।
इनको माटी के रंग, संगम सभागार, दर्पण सभागार, कला निवास, कला कुंज, कला विहार, गोल म्यूजियम आदि नामों से जाना जाता है।
माटी के रंग - Mati Ke Rang Museum
अगर हम माटी के रंग संग्रहालय की बात करें तो इस संग्रहालय में तरह-तरह के मिट्टी के खिलौने, मूर्तियाँ, मुखोटे, बर्तन आदि रखे हुए हैं। मिट्टी से बनी हुई ये सभी चीजें हस्तशिल्प का बहुत ही बेहतरीन उदाहरण है।
संगम सभागार - Sangam Auditorium
अगर हम संगम सभागार की बात करें तो इसमें कई तरह की चित्रकारी का प्रदर्शन किया हुआ है। संग्रहालय की दीवारों पर चारों तरफ कागज और कैनवास पर बने हुए चित्र लगे हुए हैं।
कला विहार - Kala Vihar Puppet Museum
कला निवास संग्रहालय के बिल्कुल सामने कला विहार संग्रहालय बना हुआ है। इस संग्रहालय में कठपुतलियों का संग्रहालय बना हुआ है जिसमें कई तरह की कठपुतलियाँ रखी हुई है।
इस जगह को हम कठपुतलियों का संसार कह सकते हैं। पहले यह कठपुतलियाँ बागोर की हवेली में रखी हुई थी जिन्हें कुछ समय पहले इस जगह पर शिफ्ट किया गया था।
शिल्पग्राम के रंगमंच - Theatres of Shilpagram
शिल्पग्राम में मुक्ताकाशी और बंजारा नाम के रंगमंच बने हुए हैं जहाँ पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मुक्ताकाशी रंगमंच - Open-air Theatre
अगर हम मुक्ताकाशी रंगमंच की बात करें तो यह दो चट्टानों के बीच आधे चाँद जैसी आकृति में बना हुआ एक रंगमंच है।
खुले आसमान के नीचे होने की वजह से इसे मुक्ताकाशी रंगमंच कहते हैं। इस रंगमंच पर कला और संस्कृति से जुड़े कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
हर साल दिसम्बर के महीने में यहाँ पर आयोजित होने वाले शिल्पग्राम मेले में कलाकारों और शिल्पकारों द्वारा अपनी कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया जाता है।
शिल्पग्राम का हाट बाजार - Haat Bazar of Shilpagram
इस शिल्पग्राम में एक हाट बाजार भी है जिसमें हाथ से बनी हुई कलात्मक वस्तुओं को बेचा जाता है। इनमें कपड़े, चप्पलें, चूड़ियाँ, साड़ियाँ, लकड़ी और मिट्टी के खिलौने, बर्तन, फर्नीचर, कठपुतलियाँ और लोक वाद्य यंत्र आदि शामिल हैं।
शिल्पग्राम का मूर्तिकला उद्यान - Sculpture Garden of Shilpagram
शिल्पग्राम में एक मूर्तिकला उद्यान बना हुआ है जिसमें पत्थर से बनी हुई कई तरह की छोटी बड़ी मूर्तियाँ लगी हुई है।
इन मूर्तियों में कई तरह की धार्मिक और सामाजिक प्रतिमाओं के साथ वाद्य यंत्रों और योग करते लोगों की मूर्तियाँ लगी हुई है।
शिल्पग्राम का लोक औषधी उद्यान - Folk medicinal garden of Shilpagram
शिल्पग्राम में एक लोक औषधी उद्यान भी बना हुआ है जिसमें कई तरह के Medicinal Plants लगे हुए हैं।
शिल्पग्राम का इन्द्र विमान - Indra Viman of Shilpgram
शिल्पग्राम में एक लकड़ी का बड़ा रथ भी रखा हुआ है जिसे इन्द्र विमान कहा जाता है। यह विमान झालावाड़ रियासत का था जो राज परिवार के काम आता था।
शिल्पग्राम मेला - Shilpagram Fair
अगर हम शिल्पग्राम में लगने वाले मेले के बारे में बात करें तो यह मेला हर वर्ष दिसम्बर महीने के अंतिम 10 दिनों में लगता है।
इस मेले को शिल्प दर्शन और शिल्प महोत्सव आदि नामों से जाना जाता है। इस मेले में कई राज्यों के लोक कलाकारों द्वारा अपनी कला का प्रदर्शन किया जाता है।
यह मेला एक हस्तशिल्प मेला है जिसमें कलाकारों और शिल्पकारों के लिए बिना किसी मध्यस्थ के अपनी कला और कलात्मक वस्तुओं के लिए बाजार मिल जाता है।
इसके लिए मेले में जगह-जगह दुकानें और स्टॉल लगाई जाती है जिनमें हाथ से बुने हुए कपड़े और चमड़े की वस्तुओं के साथ मिट्टी, लकड़ी और काँच से बनी कई तरह के कलात्मक चीजें मिल जाती हैं।
शिल्पग्राम के पास घूमने की जगह - Places to visit near Shilpgram
अगर हम शिल्पग्राम के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप प्रताप गौरव केंद्र, नीमच माता मंदिर, बड़ी तालाब आदि देख सकते हैं।
शिल्पग्राम कैसे जाएँ? - How to reach Shilpagram?
अब हम बात करते हैं कि शिल्पग्राम कैसे जाएँ? उदयपुर रेलवे स्टेशन से शिल्पग्राम की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है। यहाँ जाने के दो रास्ते हैं।
इन रास्तों में एक रास्ता रानी रोड़ होकर और दूसरा रास्ता नीमच माता के आगे देवाली होकर जाता है। आप अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी रास्ते से जा सकते हैं।
अगर आप भारत की कला और संस्कृति को करीब से देखना चाहते हैं तो आपको दिसंबर में लगने वाला शिल्पग्राम मेला जरूर देखना चाहिए।
लेकिन अगर आपका दिसंबर में जाना संभव नहीं हो तो फिर आप जब भी उदयपुर जाएँ तब आपको शिल्पग्राम की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।
इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।
शिल्पग्राम की मैप लोकेशन - Map Location of Shilpgram
शिल्पग्राम का वीडियो - Video of Shilpgram
शिल्पग्राम की फोटो - Photos of Shilpgram
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।