शेखावाटी की मीरा की जन्मस्थली - Karmeti Bai Birthplace in Hindi

शेखावाटी की मीरा की जन्मस्थली - Karmeti Bai Birthplace in Hindi, इसमें मीरा बाई की तरह कृष्ण भक्त करमेती बाई के जन्म स्थान के बारे में जानकारी दी है।

Karmeti Bai Birthplace in Hindi

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सीकर जिले का खंडेला कस्बा पौराणिक होने के साथ-साथ एक ऐसी शख्सियत की जन्म स्थली भी रहा है जिसने अपनी भक्ति की शक्ति से भगवान कृष्ण को साक्षात दर्शन देने के लिए मजबूर कर दिया।

कई सदियों पूर्व मध्यकाल में खंडेला के राजपुरोहित परशुराम काथड़िया के घर में जन्मी इस शख्सियत का नाम करमेती बाई था। आज भी इनका नाम राजस्थान की प्रमुख महिला संतों में गिना जाता है।

इन्हें भारत की सबसे बड़ी कृष्ण भक्त साधिका मीरा बाई के समकक्ष माना जाता है। ये शेखावाटी की मीरा बाई के नाम से भी जानी जाती है।

जिस प्रकार मीरा बाई ने भगवान कृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति की थी, ठीक उसी प्रकार करमेती बाई ने भी कृष्ण को अपना प्रियतम मानकर उनकी भक्ति में अपना जीवन समर्पित कर दिया।

खंडेला के ब्रह्मपुरी मोहल्ले में आज भी उस भवन के अवशेष मौजूद हैं जिसमें करमेती बाई का जन्म हुआ था। इस घर में करमेती बाई का बचपन गुजरा। इसी घर में करमेती बाई का मन कृष्ण भक्ति में रमना शुरू हुआ।

कहते हैं कि करमेती बाई भगवान कृष्ण की भक्ति में डूबकर अपनी सुध बुध खो देती थी। भजन कीर्तन करते-करते नाचने लग जाती थी। कभी कान्हा को पुकारते-पुकारते आँखों से आँसुओं की अविरल धारा बहने लग जाती थी।


बचपन में ही इनका विवाह कर दिया गया था। बाद में युवावस्था में जब इनके ससुराल वाले इन्हें लेने आए तब इन्होंने सोचा कि इनके पति तो भगवान कृष्ण है अतः ये किसी अन्य पुरुष को अपना पति मानकर उसके साथ कैसे जा सकती है।

ससुराल ना जाने का निश्चय कर ये घर से उसी रात वृन्दावन के लिए निकल पड़ी। सुबह राजा के सिपाहियों द्वारा ढूँढे जाने पर लगातार तीन दिन तक भूखी प्यासी एक मरे हुए ऊँट के खोल में रही।

बाद में वृन्दावन जाकर ब्रह्म कुंड घाट पर कृष्ण की तपस्या करने लगी। जब इनके पिताजी ढूँढते-ढूँढते यहाँ आए और इनसे घर लौटने के लिए कहा तब इन्होंने लौटने से इनकार कर अपने पिताजी को यमुना जी में से निकालकर बिहारी जी मूर्ति दी।

बाद में खंडेला के राजा भी करमेती बाई के दर्शन करने वृन्दावन आए। करमेती बाई से प्रभावित होकर इन्होंने इनके लिए ब्रह्मकुंड पर एक कुटिया बनवाई।

राजा ने खंडेला लौटकर यहाँ बिहारीजी का मंदिर बनवाया जिसमें करमेती बाई द्वारा अपने पिताजी को दी गई बिहारीजी की मूर्ति को स्थापित करवाया।

उधर वृन्दावन में करमेती बाई को भगवान कृष्ण ने एक साधु के वेश में दर्शन दिए। करमेती बाई ने अपने आराध्य को पहचान लिया जिसके बाद कृष्ण ने इन्हें अपने चतुर्भुज रूप में दर्शन दिए। कहते हैं उसके बाद करमेती बाई किसी को नजर नहीं आई।

यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि एक तरफ जहाँ पूरे संसार में करमेती बाई का नाम राजस्थान की प्रमुख महिला लोक संतों में दर्ज है वहीं दूसरी तरफ खंडेला के प्रशासन और अधिकांश नागरिकों को इनके सम्बन्ध में कोई जानकारी ही नहीं है।

जिस प्रकार दिए के तले अँधेरा होता है वैसा ही हाल खंडेला में करमेती बाई को लेकर है। खंडेला में इनके नाम की तरह इनका जन्म स्थान भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है।

स्थानीय प्रशासन अगर मेड़ता में स्थित मीराबाई के मंदिर की तरह इनका कोई बड़ा स्मारक नहीं बनवा सकता तो कम से कम इनके जन्म स्थान को तो संरक्षित रख ही सकता है?

वैसे वसुंधरा राजे सरकार ने इनके महत्व को समझकर वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पेश राजस्थान के बजट में इनके पेनोरमा कार्य की घोषणा की थी।

बाद में उदयपुरवाटी रोड पर भूतेश्वर महादेव के मंदिर से थोड़ा आगे बाईं तरफ पहाड़ी के पास इनके पैनोरमा का निर्माण कार्य शुरू हुआ।

करमेती बाई के जन्म स्थल की मैप लोकेशन - Map Location of Karmeti Bai Birthplace



करमेती बाई के जन्म स्थल का वीडियो - Video of Karmeti Bai Birthplace



करमेती बाई के जन्म स्थल की फोटो - Photos of Karmeti Bai Birthplace


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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