खंडेलवाल वैश्य समाज का तीर्थ स्थल - Khandela Dham in Hindi

खंडेलवाल वैश्य समाज का तीर्थ स्थल - Khandela Dham in Hindi, इसमें खण्डेलवाल वैश्य समाज के तीर्थ स्थल खंडेला धाम के बारे में जानकारी दी गई है।

Khandela Dham in Hindi

{tocify} $title={Table of Contents}

सीकर जिले का खंडेला कस्बा ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ खंडेलवाल वैश्य समाज का उद्गम स्थल भी है। आज खंडेलवाल वैश्य समाज सम्पूर्ण भारत में फैला हुआ है।

समाज के लोगों को अपने उद्गम स्थल से जोड़े रखने के लिए खंडेलवाल वैश्य समाज के लोगों ने खंडेला के अन्दर खंडेलवाल वैश्य धाम का निर्माण करवाया जिसे अब खंडेला धाम के नाम से अधिक जाना जाता है।

यह स्थान खंडेला से पाँच किलोमीटर दूर पलसाना रोड पर स्थित है। जयपुर से यहाँ की दूरी लगभग 97 किलोमीटर है। जयपुर से यहाँ आने के दो रास्ते हैं। एक रास्ता रींगस से श्रीमाधोपुर होकर तथा दूसरा रास्ता रींगस से पलसाना होकर आता है।

इस स्थान को खंडेलवाल वैश्य समाज के एक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित कर समाज के सभी लोगों को इस स्थान के दर्शनों के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान के दर्शनों के बिना चारों धामों की यात्रा का फल नहीं मिलता है।

खंडेला धाम लगभग 52 बीघा भूमि पर फैला हुआ है। इसके मुख्य द्वार के सामने लगे कदम्ब के वृक्षों का झुण्ड इस स्थान को अत्यंत मनमोहक बना देता है।

धाम में प्रवेश करते ही सामने की तरफ गणेशजी का भव्य मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 2004 में हुआ था। मंदिर के अन्दर गणेश जी की भव्य मूर्ति एवं काँच की नक्काशी अत्यंत मनमोहक है।

निकट ही एक ही प्राकट्य स्वरुप शिला से प्राप्त 25 टन वजनी कैलाशपति बालाजी की विशाल प्रतिमा बनी हुई है। इस प्रतिमा को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे यहाँ पर बालाजी महाराज साक्षात मौजूद हैं।

पास ही में शिव मंदिर बना हुआ है। मंदिर में पूरी शिव पंचायत है। संगमरमर का बना हुआ यह मंदिर भी काफी भव्य है।

थोड़ी दूरी पर बाहर से आने वाले यात्रियों के ठहरने के लिए सभी सुविधाओं युक्त अतिथि गृह बना हुआ है। यहाँ से आगे गहन हरियाली युक्त एक सुन्दर बगीचा है जो कि लगभग एक लाख स्क्वायर फीट में फैला हुआ है।


इस बगीचे के दो छोरों पर खंडेलवाल वैश्य के 72 गौत्रों की सभी 37 कुल देवियों के मंदिर बने हुए हैं। सभी मंदिरों में कुल देवियों की भव्य प्रतिमाएँ स्थापित है जिनकी दोनों समय पूजा एवं आरती होती है।

कुल देवियों के सभी मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए मंदिरों के चारों तरफ गुलाबी पत्थर (वंशी पहाडपुर) लगवाया जा रहा है। साथ ही मन्दिर के अन्दर ग्रेनाइट लगवाया जा रहा है एवं किवाडों पर जर्मन सिल्वर लगवाई जाने की योजना है।

इन मंदिरों के साथ ही एक काल भैरव का मंदिर भी बना हुआ है। गुलाबी पत्थरों (वंशी पहाड़पुर) से निर्मित दो अलग-अलग वक्राकार कतारों में स्थित ये मंदिर काफी भव्य दिखाई पड़ते हैं।

कुल देवियों के मंदिरों के साथ ही मुंबई के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर के प्रतिरूप वाले मंदिर और चारों धाम के मंदिरों का निर्माण भी शीघ्र ही होना है।

बगीचे के एक किनारे पर खंडेलवाल वैश्य कुलभूषण धर्म एवं समाज सुधारक संत सुन्दरदासजी की प्रतिमा बनी हुई है। ज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में दादू पंथी इन्हें दूसरा शंकराचार्य कहा करते थे।

निर्गुण ज्ञान में इनकी तुलना सूरदास एवं तुलसीदास से की जाती है। धाम में गौशाला के साथ-साथ वृद्ध एवं निशक्तजन आश्रम भी बना हुआ है।

धाम की भावी योजनाओं में ओपन एयर थिएटर, मल्टी पर्पज हॉल (सत्संग हॉल), मैडिटेशन हॉल, पुस्तकालय एवं संग्रहालय के साथ-साथ बोर्डिंग स्कूल, हॉस्पिटल, कंप्यूटर सेण्टर, नर्सिंग एवं मेडिकल कॉलेज आदि शामिल है।

धाम की देखरेख के लिए वर्ष 2001 में खंडेलवाल वैश्य तीर्थ स्थान ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन करवाया गया। इस ट्रस्ट द्वारा धाम की सम्पूर्ण गतिविधियों की जानकारी देने के लिए श्री खंडेलवाल वैश्य तीर्थ स्थान पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाता है।

जिस प्रकार खंडेला धाम का विकास हो रहा है उसे देखकर यह लगता है कि भविष्य में यह धार्मिक स्थल के साथ-साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी अपनी पहचान विश्व पटल पर बना लेगा।

खंडेला धाम की मैप लोकेशन - Map Location of Khandela Dham



खंडेला धाम का वीडियो - Video of Khandela Dham



खंडेला धाम की फोटो - Photos of Khandela Dham


Khandela Dham in Hindi 1

Khandela Dham in Hindi 2

Khandela Dham in Hindi 3

Khandela Dham in Hindi 4

Khandela Dham in Hindi 5

Khandela Dham in Hindi 6

Khandela Dham in Hindi 7

Khandela Dham in Hindi 8

Khandela Dham in Hindi 9

Khandela Dham in Hindi 10

Khandela Dham in Hindi 11

Khandela Dham in Hindi 12

Khandela Dham in Hindi 13


लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

सोशल मीडिया पर हमसे जुड़ें (Connect With Us on Social Media)

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमें फेसबुकएक्स और इंस्टाग्राम पर फॉलो करें
हमारा व्हाट्सएप चैनल और टेलीग्राम चैनल फॉलो करें

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने