खंडेला का इतिहास बताती है छतरियाँ - Royal Cenotaphs of Khandela in Hindi

खंडेला का इतिहास बताती है छतरियाँ - Royal Cenotaphs of Khandela in Hindi, इसमें खंडेला राज परिवार की छतरियों यानी दाह संस्कार स्थल की जानकारी है।

Royal Cenotaphs of Khandela in Hindi

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आज का खंडेला कस्बा किसी समय में एक रियासत कहलाता था। यहाँ का इतिहास महाभारत कालीन युग से सम्बन्ध रखता है।

खंडेला रियासत पर अनेक सदियों में अनेक राजवंशों ने राज किया जिनमें चौहान, निर्वाण, शेखावत आदि प्रमुख है।

खंडेला में अनेक धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं। आज हम आपको खंडेला में स्थित छतरियों का भ्रमण करवाते हैं। ये छतरियाँ खंडेला के प्रसिद्ध खंडेश्वर महादेव मंदिर से थोड़ा आगे स्थित हैं।

इन छतरियों का सम्बन्ध खंडेला के राजपरिवार से रहा है। राजपरिवार के किसी सदस्य की जब भी मृत्यु होती थी तो उनकी अंत्येष्टि के स्थान पर यादगार के स्वरूप एक छतरी बना दी जाती थी।

ये सभी छतरियाँ एक ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मौजूद हैं। जब भी हम बारीकी से इन छतरियों को निहारते हैं तो हम उस समय में पहुँच जाते हैं जिस समय में इनका निर्माण हुआ था।

इन छतरियों से उस समय की स्थापत्य कला, रीति रिवाज और संस्कृति के बारे में पता चलता है। हमें उन विभूतियों के सम्बन्ध में भी पता चलता है जिनकी यादगार में ये स्मारक बने हुए हैं।

खंडेला में एक ही स्थान पर लगभग पच्चीस तीस के आसपास छतरियाँ बनी हुई है। कई छतरियाँ एक सीधी रेखा में और लगभग एक मंजिल की ऊँचाई पर बनी हुई है। दूर से देखने पर यहाँ का नजारा बड़ा भव्यता लिए हुए दिखाई देता है।

इन छतरियों के स्थापत्य कला की अगर बात की जाए तो ये सभी छतरियाँ एक चबूतरे पर बनी हुई है। इनके निर्माण में सिर्फ पत्थर और चूने का इस्तेमाल किया हुआ है।


बाहर से कुछ छतरियों के ऊपर भित्तिचित्र और बेल-बूँटे बने हुए दिखाई देते हैं। अन्दर से इनकी छत गोलाकार आकृति लिए हुए है जिनपर कई जगह शिलालेख भी लगे हुए हैं।

कई छतरियों में पत्थर पर उकेरी गई मूर्तियाँ भी हैं जिनमें एक योद्धा हाथ में तलवार लेकर घोड़े पर बैठे दर्शाया गया है। इसके पास में तीन से पाँच छः लोग खड़े हैं।

ये लोग पुरुष हैं या महिला यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। घोड़े पर बैठे हुए योद्धा की आकृति संभवतः उस योद्धा की रही होगी जिसकी याद में यह छतरी बनी हुई है।

कुछ छतरियाँ एक तरफ से बंद है और इनमें दरवाजे युक्त निर्माण बना हुआ है। यह निर्माण अब मूर्ति विहीन है और पहले किस कार्य में प्रयोग होता था यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है।

चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ यह स्थान बहुत ही मनोरम प्रतीत होता है। बारिश के समय में यह स्थान देखने लायक है। ऐसा भी पता चला है कि यहाँ पर कई विडियो एल्बम भी शूट किये जा चुके हैं।

देखरेख के अभाव में वर्तमान में यह स्थान अपने वैभव को खोता जा रहा है। छतरियों के ऊपर बड़े-बड़े जंगली पेड़ पौधे उग आए हैं जिनकी वजह से ये छतरियाँ नष्ट होने लग गई हैं।

ऐसा भी पता चला है कि यहाँ पर अकसर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। अगर इस जगह की देखरेख की जाए तो यह स्थान एक पर्यटक स्थल के रूप में तबदील हो सकता है।

खंडेला की छतरियों की मैप लोकेशन - Map Location of Royal Cenotaphs of Khandela



खंडेला की छतरियों का वीडियो - Video of Royal Cenotaphs of Khandela



खंडेला की छतरियों की फोटो - Photos of Royal Cenotaphs of Khandela


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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