दाढ़ी मूँछ वाले चमत्कारी बालाजी - Salasar Balaji Mandir in Hindi

दाढ़ी मूँछ वाले चमत्कारी बालाजी - Salasar Balaji Mandir in Hindi, इसमें राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर बालाजी के मंदिर की पूरी जानकारी दी है।

Salasar Balaji Mandir in Hindi

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राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित सालासर कस्बा विश्व प्रसिद्ध बालाजी के मंदिर की वजह से सालासर धाम के रूप में परिवर्तित होकर एक धर्म नगरी के रूप में जाना जाता है।

यह मंदिर बालाजी और भक्त मोहनदासजी की वजह से सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। सालासर बालाजी का मंदिर कस्बे के मध्य में स्थित है। मंदिर परिसर के आस पास धर्मशालाओं एवं प्रसाद की दुकानों की भरमार है।

मंदिर का प्रवेश द्वार काफी भव्य है। द्वार से प्रवेश करते ही बाँई तरफ सामान एवं जूते रखने के लिए कक्ष बने हुए हैं। दिव्यांगजनों के लिए व्हीलचेयर की भी व्यवस्था है।

सालासर बालाजी का अखंड धूणा - Akhand Dhuna of Salasar Balaji


अन्दर जाने पर सामने की तरफ जाँटी के वृक्ष के पास अखंड धूणा स्थल मौजूद है। यह स्थान मोहन दास जी महाराज की तपस्या स्थल था। कहते हैं कि यह अखंड धूणा मोहनदासजी महाराज ने अपने हाथों से प्रज्वलित किया था।

इस प्रकार यह अखंड ज्योति मंदिर की स्थापना के समय से ही जल रही है यानी यह अखंड ज्योति 1754 ईस्वी (विक्रम संवत् 1811) से ही लगातार जल रही है।

ऐसी मान्यता है कि इस धूणे से प्राप्त भभूत (भस्म) भक्तों के सारे कष्टों को दूर कर देती है। धूणे के पास में बालाजी का छोटा मंदिर है जिसके दरवाजे तथा दीवारें चाँदी से बनी हुई मूर्तियों एवं चित्रों से सजी हुई हैं।

बताया जाता है कि इस जाँटी के वृक्ष के नीचे बैठकर भक्त मोहनदास पूजा अर्चना किया करते थे। आज भक्तजन श्रद्धा स्वरूप इस जाँटी के वृक्ष पर नारियल एवं ध्वजा चढ़ाते हैं तथा लाल धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं।

थोडा आगे जाने पर मुंडन संस्कार (जडूला) के लिए जगह बनी हुई है। इस जगह पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने बच्चों का मुंडन संस्कार संपन्न करते हैं। आगे जाने पर श्री बालाजी मंदिर का कार्यालय स्थित है।

सालासर बालाजी मंदिर की विशेषता - Features of Salasar Balaji Temple


कार्यालय से थोड़ा आगे जाने पर बाँई तरह मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार है। सामने की तरफ से दर्शनार्थियों के दर्शन करके आने का रास्ता है। दाँई तरफ भक्त मोहनदासजी की समाधि की तरफ जाने का रास्ता है।

मुख्य मंदिर के दरवाजे तथा दीवारें भी हनुमान जी के छोटे मंदिर की तरह चाँदी से बनी हुई मूर्तियों एवं चित्रों से सजी हुई हैं। अन्दर से मंदिर काफी बड़ा एवं भव्य है। चारों तरफ सोने चाँदी से सजी हुई दीवारें एवं इन पर उकेरे हुए चित्र मन को मोहित कर लेते हैं।

सामने की तरफ शालीग्राम पत्थर से निर्मित दाढ़ी मूँछ से सुशोभित बालाजी की प्रतिमा सोने के सिंहासन पर विराजमान है। इस प्रतिमा को सोने के भव्य मुकुट से सजाया गया है।


प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई हैं। प्रतिमा के ऊपर सोने से निर्मित स्वर्ण छत्र भी सुशोभित है। बालाजी की प्रतिमा के ऊपरी भाग में श्री राम दरबार है।

बगल में एक तरफ गणेशजी एवं दूसरी तरफ राधा कृष्ण की प्रतिमा स्थित है। बालाजी की प्रतिमा के बगल में एक तरफ स्वयं हनुमान जी एवं दूसरी तरफ कोई संत संभवतः मोहनदासजी की प्रतिमा है।

सालासर में बालाजी की प्रतिमा दाढ़ी मूँछ वाले रूप में क्यों है? - Why is the idol of Balaji in Salasar in the form of having beard and moustache?


पूरे भारत में एक मात्र सालासर धाम में ही बालाजी का दाढ़ी मूँछो वाला रूप दिखाई देता है। बालाजी का यह स्वरूप अपने आप में बाद अनोखा है क्योंकि सभी जगह बालाजी की प्रतिमा बिना दाढ़ी मूँछो के है।

सालासर में बालाजी का दाढ़ी मूँछो वाला स्वरूप इसलिए है क्योंकि इन्होंने सालासर आने से पहले मोहन दास जी को स्वप्न में इसी रूप में दर्शन दिए थे।

बाद में जब बालाजी को सालासर में स्थापित किया गया तब इनका स्वरूप स्वप्न में दिए दर्शन के अनुसार दाढ़ी मूँछो वाला कर दिया गया।

हनुमान भक्त मोहन दास जी की समाधि - Samadhi of Hanuman devotee Mohan Das ji


मुख्य मंदिर के सामने के दरवाजे से कुछ आगे जाने पर दाँयी तरफ हनुमान भक्त मोहनदासजी की समाधि स्थित है। इस समाधि के पास ही इनकी बहन कान्ही बाई की समाधि भी स्थित है।

मोहन दास जी और कान्ही बाई की समाधि के पास ही कान्ही बाई के पुत्र उदयराम द्वारा संवत् 1852 में स्थापित करवाया गया शिलालेख आज भी लगा हुआ देखा जा सकता है।

सालासर बालाजी की सुबह की आरती के बाद इन दोनों की समाधि पर आरती पूजन किया जाता है। इसी तरह शाम की आरती से पहले इनका आरती पूजन किया जाता है।

सालासर बालाजी का इतिहास और कहानी - History and Story of Salasar Balaji


इस मंदिर की स्थापना मोहनदासजी महाराज ने 1754 ईस्वी (विक्रम संवत् 1811) में श्रावण शुक्ल नवमी को शनिवार के दिन की थी। मंदिर का निर्माण 1758 ईस्वी (विक्रम संवत् 1815) में पूरा हुआ।

बताया जाता है कि सालासर बालाजी के मंदिर का निर्माण करने वाले कारीगर नूर मोहम्मद और दाऊ मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते थे।

हनुमान भक्त मोहनदासजी कौन थे? - Who was Hanuman devotee Mohandasji?


प्राप्त जानकारी के अनुसार मोहनदासजी सीकर जिले के रुल्याणी ग्राम के निवासी पंडित लछीरामजी पाटोदिया के सबसे छोटे पुत्र थे। बचपन से ही इनकी रुचि धार्मिक कार्यों काफी ज्यादा थी।

इनकी बहन कान्ही का विवाह सालासर ग्राम में हुआ था तथा अपने एकमात्र पुत्र उदय के जन्म के कुछ समय पश्चात ही वे विधवा हो गई। मोहनदासजी अपनी बहन और भांजे को सहारा देने के लिए सालासर ग्राम में आकर रहने लगे।

सालासर में बालाजी की प्रतिमा कैसे आई? - How did the idol of Balaji come to Salasar?


मोहनदासजी ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए अधिकांश समय बालाजी की भक्ति में लीन रहते थे। इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने इन्हें एक साधू के रूप में दाढ़ी मूँछ के साथ दर्शन दिए और अपने इसी रूप में सालासर में निवास करने का वचन दिया।

अपने वचन को पूरा करने के लिए 1754 ईस्वी (1811 विक्रम संवत) में नागौर जिले के आसोटा गाँव में एक किसान के खेत में बालाजी मूर्ति रूप में प्रकट हुए। उसी रात बालाजी ने आसोटा के ठाकुर के सपने में दर्शन देकर इस मूर्ति को सालासर ले जाने के लिए कहा।

दूसरी तरफ मोहनदासजी को सपने में बताया कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर आएगी, उसे कोई ना चलाये और जहाँ बैलगाड़ी स्वयं रुक जाए वहीं मेरी मूर्ति स्थापित कर देना।

सपने में मिले आदेशानुसार बालाजी की इस मूर्ति को मंदिर में वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया। कहते हैं कि मोहनदासजी और बालाजी आपस में वार्तालाप करने के साथ-साथ प्रायः: मल्ल युद्ध व अन्य तरह की क्रीड़ाएँ भी करते थे।

मोहनदासजी की मृत्यु कब हुई? - When did Mohandasji die?


बाद में मोहनदासजी ने अपना चोला अपने भांजे उदय राम को प्रदान कर उन्हें मंदिर का प्रथम पुजारी नियुक्त किया। विक्रम संवत 1850 की वैशाख शुक्ल त्रयोदशी के दिन मोहनदासजी ने जीवित समाधि लेकर स्वर्गारोहण किया।

सालासर बालाजी के प्रमुख त्योहार - Major festivals of Salasar Balaji


सालासर बालाजी मंदिर में प्रमुख रूप से दो त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें एक तो श्रावण शुक्ल नवमी को "मंदिर का स्थापना दिवस या बालाजी महाराज का प्राकट्य दिवस" बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दूसरा, पितृ पक्ष में त्रयोदशी के दिन मोहनदासजी का श्राद्ध दिवस मनाया जाता है।

सालासर धाम में हर साल दो मेलों का आयोजन बड़ी धूमधाम के साथ किया जाता है। एक मेला हनुमान जयन्ती (चैत्र पूर्णिमा) के दिन और दूसरा मेला शरद पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा) के दिन लगता है।

सालासर बालाजी मंदिर में आरती का समय - Aarti Timings at Salasar Balaji Temple


सालासर बालाजी मंदिर में सुबह 5:30 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं। पूरे दिन में मंदिर में कई आरती की जाती है जो इस प्रकार है -

मंगला आरती - 5:30 बजे सुबह (सर्दी), 5:00 बजे सुबह (गर्मी)
मोहनदास जी आरती - 6:00 बजे सुबह (सर्दी), 5:30 बजे सुबह (गर्मी)
राजभोग आरती - 10:15 बजे सुबह (सर्दी), 10:00 बजे सुबह (गर्मी)
धूप ग्वाल आरती - 5:00 बजे सायं (सर्दी), 6:30 बजे सायं (गर्मी)
मोहन दास जी आरती - 5:30 बजे सायं (सर्दी), 7:00 बजे सायं (गर्मी)
संध्या आरती - 6:00 बजे सायं (सर्दी), 7:30 बजे सायं (गर्मी)
बाल भोग स्तुति - 7:00 बजे सायं (सर्दी), 8:00 बजे सायं (गर्मी)
शयन आरती - 9:00 बजे रात्रि (सर्दी), 10:00 बजे सायं (गर्मी)
राजभोग महाप्रसाद आरती (केवल मंगलवार) - 11:00 बजे सुबह (सर्दी), 10:30 बजे सुबह (गर्मी)

सालासर बालाजी की मनौती (मनोकामना) के लिए क्या करना पड़ता है? - What needs to be done to get a wish from Salasar Balaji?


सालासर बालाजी के मंदिर में अखंड धूणे के पास जाँटी का पेड़ है। ऐसा बताया जाता है कि इस जाँटी के वृक्ष के नीचे बैठकर भक्त मोहनदास पूजा अर्चना किया करते थे।

यह पेड़ काफी पुराना और पवित्र माना जाता है। सालासर बालाजी की मनौती के भक्तजन पूर्ण समर्पण के साथ बालाजी महाराज का ध्यान करके इस जाँटी के वृक्ष पर नारियल एवं लाल धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं।

इसके साथ जो भक्त ध्वजा लेकर आते हैं वे अपनी ध्वजा को भी इस जगह अर्पित करते हैं। मनौती के नारियल बड़े पवित्र माने जाते हैं इसलिए इनको किसी अन्य कार्य में उपयोग में नहीं लिया जाता है। 

सालासर बालाजी मंदिर के फोन नंबर - Salasar Balaji Temple Phone Numbers


सालासर धाम के श्री बालाजी मंदिर की सम्पूर्ण देखरेख श्री हनुमान सेवा समिति करती है। मंदिर से संबंधित किसी भी कार्य के लिए श्री हनुमान सेवा समिति के पदाधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।

सालासर बालाजी मंदिर का पता - श्री सालासर बालाजी मंदिर, सालासर, चुरू, राजस्थान, पिन कोड: 331506
सालासर बालाजी मंदिर के फोन नंबर - 01568-252749, 01568-252049

सालासर बालाजी कैसे जाएँ? - How to reach Salasar Balaji?


सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित है। यहाँ आप बस या ट्रेन से जा सकते हैं।

सालासर की दूरी सुजानगढ़ से 27 किलोमीटर, रतनगढ़ से 45 किलोमीटर, लक्ष्मणगढ़ से 35 किलोमीटर, सीकर से 60 किलोमीटर और जयपुर से 170 किलोमीटर है।

नजदीकी हवाई अड्डे की बात करें तो जयपुर हवाई अड्डा 184 किलोमीटर, किशनगढ़ हवाई अड्डा 165 किलोमीटर, बीकानेर हवाई अड्डा 190 किलोमीटर और जोधपुर हवाई अड्डा 265 किलोमीटर की दूरी पर है।

सालासर बालाजी के सबसे पास कौन सा रेलवे स्टेशन है? - Which is the nearest railway station to Salasar Balaji?


सालासर बालाजी के सबसे पास सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन है। सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन से सालासर बालाजी की दूरी 27 किलोमीटर है। सुजानगढ़ के बाद दूसरा नजदीकी रेल्वे स्टेशन सालासर से 35 किलोमीटर दूर लक्ष्मणगढ़ है।

खाटू श्याम से सालासर बालाजी कैसे जाएँ? - How to go to Salasar Balaji from Khatu Shyam?


खाटू श्याम से सालासर बालाजी की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। खाटू श्याम से सालासर बालाजी जाने के लिए मंढा मोड़ होकर, पलसाना, रानोली, गोरिया होते हुए नेशनल हाईवे 52 पर सीकर बाईपास से आगे फागलवा, काछवा, नेछवा, गनेरी होकर जाना होता है।

मौटे तौर पर देखें तो पहले खाटू से रींगस होते हुए सीकर, फिर सीकर से सालासर जा सकते हैं। चूँकि आप सीकर की तरफ जा रहे हैं इसलिए अगर मंढा मोड़ होते हुए जायेंगे तो आपके लिए रास्ता थोड़ा छोटा होगा।

जयपुर से सालासर बालाजी कैसे जाएँ? - How to reach Salasar Balaji from Jaipur?


अगर आप ट्रेन से जयपुर से सालासर जाना चाहते हैं तो आपको जयपुर से रींगस होते हुए सीकर और फिर सीकर से लक्ष्मणगढ़ जाना होगा। लक्ष्मणगढ़ से सालासर बस से जाना होगा।

अगर आप बस या खुद के वाहन से जयपुर से सालासर जाना चाहते हैं तो आपको जयपुर से नेशनल हाईवे 52 द्वारा सीकर जाना होगा, फिर सीकर से फागलवा, काछवा, नेछवा, गनेरी होकर जाना होगा।

दिल्ली से सालासर बालाजी कैसे जाएँ? - How to reach Salasar Balaji from Delhi?


दिल्ली से बहादुरगढ़, रोहतक, भिवानी, लोहारु, चिड़ावा, झुंझुनू, मुकुंदगढ़, लक्ष्मणगढ़ होते हुए सालासर जा सकते हैं। इस रास्ते से दिल्ली से सालासर की दूरी लगभग 320 किलोमीटर है।

दिल्ली से दूसरा रास्ता रेवाड़ी, नीमकाथाना, रींगस, सीकर होते हुए फागलवा, काछवा, नेछवा, गनेरी होकर सालासर जा सकते हैं। दिल्ली से सालासर का तीसरा रास्ता जयपुर से सीकर होते हुए है।

सालासर बालाजी मंदिर मैप लोकेशन - Map Location of Salasar Balaji Mandir



सालासर बालाजी मंदिर का वीडियो - Video of Salasar Balaji Mandir



सालासर बालाजी मंदिर की फोटो - Photos of Salasar Balaji Mandir


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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