झील के नीचे भारत का सबसे पुराना मंदिर - Gupteshwar Mahadev Mandir Kankroli in Hindi

झील के नीचे भारत का सबसे पुराना मंदिर - Gupteshwar Mahadev Mandir Kankroli in Hindi, इसमें राजसमंद झील की पाल के नीचे बने शिव मंदिर की जानकारी है।

Gupteshwar Mahadev Mandir Kankroli in Hindi

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आज हम आपको भारत के 7 प्राचीन मंदिरों में शामिल एक ऐसे मंदिर की यात्रा करवाने वाले हैं जो इंसानों द्वारा बनाई गई राजस्थान की मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झील के नीचे एक गुफा में बना हुआ है।

गुफा तक जाने के लिए एक लंबी सुरंग के अंदर से गुजरना पड़ता है। मंदिर के अंदर भोलेनाथ के स्वयंभू शिवलिंग के साथ-साथ रिद्धि-सिद्धि गणपति भी विराजमान है।

मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इसमें झील के पानी से पूरे साल शिवलिंग का अपने आप जलाभिषेक होता रहता है।

तो आज इस प्राचीन गुफा मंदिर की यात्रा करके इसके इतिहास को समझते हैं। आइए शुरू करते हैं।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Gupteshwar Mahadev Temple


अगर हम बाहर से देखें तो यह मंदिर हमें दूसरे मंदिरों की तरह सामान्य सा ही लगता है। मंदिर का परिसर बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है।

मंदिर की मुख्य गुफा के बाहर प्राचीन नंदी विराजमान है। ऐसा बताया जाता है कि औरंगजेब की सेना ने नंदी के ऊपरी हिस्से को थोड़ा सा नुकसान पहुँचाया था।

गुफा के एक तरफ बालाजी महाराज का प्राचीन मंदिर और दूसरी तरफ संतोषी माता का मंदिर बना हुआ है।

गुफा के अंदर जाने के लिए रास्ता बना हुआ है। सुरंग जैसी इस गुफा की लंबाई 135 फीट है। अंदर जाने पर यह गुफा काफी चौड़ी और गोलाकार आकृति में बदल जाती है।

इस गोलाकार जगह के बीच में मंदिर बना हुआ है। मंदिर के अंदर काले रंग का प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इस शिवलिंग को अपने आप बना हुआ यानी स्वयंभू माना जाता है।

शिवलिंग को इस मंदिर में इस तरीके से स्थापित किया गया है कि झील को भरने वाली गोमती नदी के जल से इस शिवलिंग का जलाभिषेक पूरे साल अपने आप होता रहे।


इसलिए जब भी झील में पानी का लेवल बढ़ जाता है तब इस गुफा में चारों तरफ से पानी भी टपकने लग जाता है।

शिवलिंग के पास ही पानी की निकासी के लिए नाला बना हुआ है जिसके द्वारा जलाभिषेक का यह जल एक नाले के द्वारा गुफा के बाहर कुंड में आता है।

शिवलिंग के पास में रिद्धि सिद्धि गणपति विराजमान हैं। इसके साथ पूरा शिव परिवार विराजित है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा करने के लिए जगह बनी हुई है।

मंदिर में पूरे दिन में केवल एक बार दोपहर 12 बजे आरती होती है। जब से मंदिर बना है तब से आरती का यही नियम है।

मंदिर में दिन के समय एक बार आरती होने की वजह गुफा के अंदर रोशनी की कमी है। जब गुफा में दोपहर के समय थोड़ी रोशनी हो जाती थी तब पुजारी इसमें पूजा करने जाते थे।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास - History of Gupteshwar Mahadev Temple


अगर हम गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो पता चलता है कि यह मंदिर भारत के 7 सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। गुप्तेश्वर महादेव का यह स्वयंभू शिवलिंग विक्रम संवत 1107 यानी 1050 ईस्वी में प्रकट हुआ था।

ऐसा बताया जाता है कि ग्यारहवीं शताब्दी में राजसमंद के सेवन्त्री से निकलने वाली गोमती नदी कांकरोली के इस एरिया में ऊपरी और निचली दो धाराओं में डिवाइड होकर बहा करती थी।

गोमती नदी की ऊपरी धारा, नौ चोकी से होकर और निचली धारा इस एरिया से होकर बहा करती थी। 1050 ईस्वी में इन दोनों जलधाराओं के बीच की पहाड़ियों पर संत गुप्त गिरी महाराज तपस्या किया करते थे।

तपस्या करते समय संत को गोमती नदी की निचली धारा के किनारे जमीन में एक शिवलिंग के दबे होने का पता चला। संत ने इस शिवलिंग को खुदाई करके निकलवाया और नदी से 15 फीट की ऊँचाई पर स्थापित करवा दिया।

ऐसा कहा जाता है कि 611 साल तक इस मंदिर की बालेश्वर महादेव के नाम से पूजा अर्चना हुई।

सत्रहवीं शताब्दी में जब मेवाड़ के महाराणा राज सिंह ने गोमती नदी पर राजसमंद झील बनाने की शुरुआत करवाई तब नदी के मुख्य बहाव पर चौड़ी पाल बाँधते समय यह मंदिर पाल के नीचे दब गया।

जब महाराणा को मंदिर के बारे में पता चला तो उन्होंने खुदाई करके शिवलिंग को बाहर निकलवाने की कोशिश की लेकिन शिवलिंग बाहर निकालने की जगह और नीचे जाने लगा।

कहते हैं कि महादेव ने महाराणा को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि झील के निर्माण कार्य को सकुशल पूरा करवाने के लिए वो मंदिर को उसी जगह पर स्थापित करवाए जिस जगह पर शिवलिंग मौजूद है।

महाराणा ने महादेव के आदेश के अनुसार झील की 540 फीट चौड़ी पाल में 135 फीट लंबी गुफा बनवाकर शिवलिंग को गुप्तेश्वर महादेव के नाम से स्थापित करवाया। इस तरह विक्रम संवत् 1718 यानी 1661 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण हुआ।

इसके साथ झील के पाल को बनाते समय इस तरीके की व्यवस्था की गई कि गोमती नदी की जलधारा हमेशा महादेव तक पहुँचकर उनका अभिषेक करें।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Gupteshwar Mahadev Temple


अगर हम गुप्तेश्वर महादेव के इस मंदिर के पास घूमने की जगहों के बारे में बात करें तो आप पहाड़ी पर रूठी रानी का महल, राज सिंह का महल, राजसमंद झील, द्वारकाधीश मंदिर आदि देख सकते हैं।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Gupteshwar Mahadev Temple?


अब हम बात करते हैं कि गुप्तेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ।

गुप्तेश्वर महादेव का यह मंदिर राजसमंद से सटे हुए कांकरोली कस्बे के अंदर बना हुआ है। इस मंदिर की कांकरोली बस स्टैन्ड से दूरी लगभग 700 मीटर और द्वारकाधीश मंदिर से दूरी लगभग 300 मीटर है।

बस स्टैन्ड और द्वारकाधीश मंदिर से आप यहाँ पर पैदल जा सकते हैं। अगर आप द्वारकाधीश मंदिर दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको इस मंदिर में भी जाना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Gupteshwar Mahadev Temple



गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Gupteshwar Mahadev Temple



गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की फोटो - Photos of Gupteshwar Mahadev Temple


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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