दिवाली के दिन घटी ऐसी घटना जिसने बदल दिया इतिहास - Panna Meena Kund in Hindi

दिवाली के दिन घटी ऐसी घटना जिसने बदल दिया इतिहास - Panna Meena Kund in Hindi, इसमें जयपुर के आमेर में स्थित पन्ना मीणा कुंड पर घटी घटना की जानकारी है।

Panna Meena Kund in Hindi

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आज हम आपको लगभग 1200 साल पुरानी एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो आमेर के मीणा राजवंश के अंत और कछवाहा राजवंश की शुरुआत से जुड़ी हुई है।

इस जगह से सटे मंदिर में बैठकर मिर्जा राजा जयसिंह के दरबारी कवि बिहारीजी अपने प्रसिद्ध काव्य बिहारी सतसई की रचना किया करते थे।

यह जगह पर्यटकों के साथ-साथ फिल्मों की शूटिंग के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। इस जगह पर दबंग 3, भूल भुलैया, धड़क, रंग दे बसंती जैसी कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।

प्राचीनकाल में इस जगह को बड़ा पवित्र माना जाता था क्योंकि इसका सीधा संबंध इसके पास मौजूद अंबिकेश्वर महादेव मंदिर से था। उस समय लोग इस जगह पर स्नान करने के बाद महादेव के दर्शन किया करते थे।

तो आज हम इस सुंदर और कलात्मक जगह की यात्रा करके इसके इतिहास के बारे में जानकारी लेते हैं, आइए शुरू करते हैं।

पन्ना मीणा कुंड की यात्रा और विशेषता - Visit and specialty of Panna Meena Kund


किसी जमाने में आमेर के लोगों के लिए पानी के मुख्य स्त्रोत के रूप में काम में आने वाली इस सुंदर और कलात्मक जगह को पन्ना मीणा की बावड़ी या पन्ना मीणा के कुंड के नाम से जाना जाता है।

इस बावड़ी की अद्भुत कारीगरी देखने लायक है। चौकोर आकृति में बनी यह आठ मंजिला बावड़ी लगभग 200 फीट गहरी है।

बावड़ी में एक हिस्से में निचले तल पर खुला बरामदा है जिसके ऊपर एक कमरा मौजूद है। इस कमरे और बरामदे को छोड़कर बाकी पूरी बावड़ी में चारों तरफ से नीचे उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं।

इन सीढ़ियों की कुल संख्या 1800 है जो ऊपर से नीचे की तरफ आठ भुजाओं या आठ परतों में बँटी हुई है यानी बावड़ी के किनारे से सबसे नीचे वाली सीढ़ी 8 परत दूर है।

बावड़ी के चारों किनारों पर सुंदर गोल छतरियाँ बनी हुई हैं। बावड़ी के दोनों तरफ काफी खुली जगह है जो पुराने समय में धार्मिक और सामाजिक कार्यों के काम आती थी।

बावड़ी के पास मुख्य प्रवेश वाली जगह पर कुछ कमरे बने हुए हैं जिनके सामने एक खुली जगह पर आयताकार छतरी बनी हुई है। 

ऐसी मान्यता है कि यह बावड़ी पास ही के अंबिकेश्वर महादेव मंदिर की जलहरी है इसलिए इसके पानी को बड़ा पवित्र बताया जाता है। पुराने समय में श्रद्धालु इसमें स्नान करने के बाद ही महादेव की पूजा अर्चना करने मंदिर में जाते थे।

इस साल अच्छी बारिश होने की वजह से यह बावड़ी पानी से पूरी तरह भर गई थी। जब बारिश अच्छी नहीं होती तो पानी सबसे निचले तल में चला जाता है। बावड़ी में कुछ बड़े कछुए भी दिख जाते हैं। 

फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए यह जगह बहुत शानदार है। कैमरा ले जाने का चार्ज लगता है लेकिन मोबाईल फोन से फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी फ्री है।

पन्ना मीणा कुंड का इतिहास - History of Panna Meena Kund


अगर हम पन्ना मीणा कुंड के इतिहास के बारे में बात करें तो इस कुंड का इतिहास एक हजार साल से भी पुराना माना जाता है। जैसा कि हम जानते हैं कि आमेर में कछवाहा राजाओं के शासन से पहले मीणा राजाओं का शासन हुआ करता था।

इस कुंड के निर्माण के बारे में दो मान्यताएँ हैं जिनमें पहली आठवीं या नवीं शताब्दी के किसी मीणा शासक से और दूसरी सत्रहवीं शताब्दी के कछवाहा शासक मिर्जा राजा जयसिंह से जुड़ी है।

पहली मान्यता के अनुसार इस कुंड का निर्माण आठवीं या नवीं शताब्दी के किसी मीणा राजा ने करवाया था। ऐसा भी माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण एक हजार साल पहले आमेर के राजा पन्ना मीणा ने करवाया था।

इस बावड़ी का इतिहास मीणा राजाओं के पतन से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस बावड़ी पर मीणा राजा पन्ना मीणा और उसके सहयोगियों को मारकर कछवाहा राजपूतों ने आमेर पर कब्जा किया था।

इस घटना के बारे में बताया जाता है कि जब मीणा राजाओं का इस जगह पर शासन था तब उनको हराना काफी मुश्किल हुआ करता था क्योंकि वे हमेशा अस्त्र-शस्त्र धारण करके रहा करते थे।

मीणा राजाओं में एक परंपरा थी कि वे हर साल दिवाली के दिन अपने शस्त्रों को अपने से दूर रखकर इस कुंड में स्नान करने के बाद सामने स्थित अंबिकेश्वर महादेव की पूजा करके अपने पूर्वजों को जल अर्पित किया करते थे।


मीणा राजाओं की इस परंपरा का इनके करीबी लोगों के अलावा किसी को पता नहीं था, लेकिन एक बार मीणाओं में एक ढोल बजाने वाले ने इनका यह राज कछवाहा राजपूतों को बता दिया।

जब राजपूतों को इस बारे में पता चला तो वे दिवाली के दिन मीणा राजाओं पर आक्रमण करने की योजना बनाकर दिवाली का इंतजार करने लगे।

दिवाली के दिन जैसे ही मीणा राजा अपने शस्त्र दूर रखकर कुंड में नहाने उतरे उसी समय राजपूतों ने आक्रमण करके मीणा राजा पन्ना मीणा सहित इनके सभी लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

इसके बाद आमेर पर कछवाहा राजपूतों शासन स्थापित हुआ। इस घटना के बाद से इस बावड़ी का नाम पन्ना मीणा की बावड़ी या पन्ना मीणा का कुंड पड़ गया।

दूसरी मान्यता के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि मिर्जा राजा जयसिंह (1621-1667) के समय आमेर महल की जनानी ड्योढ़ी में रानियों के निजी काम काज करने के लिए पन्ना मिया या पन्ने मिया (Panne Miah) नाम के एक नादर यानी किन्नर नियुक्त थे।

इस कुंड का निर्माण पन्ना मिया की देखरेख में हुआ इसलिए इसका नाम पन्ना मिया कुंड पड़ गया।

कई जगह ऐसा भी बताया जाता है कि पन्ना मिया मिर्जा राजा जयसिंह के समय नहीं बल्कि महाराजा बिशन सिंह के समय आमेर में मौजूद थे। पन्ना मिया को महाराजा बिशन सिंह (1688-1699) आगरा से अपने साथ लेकर आए थे।

इस बावड़ी के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी ना होने और आमेर पर कछवाहा राजपूतों से पहले पन्ना मीणा का शासन होने की वजह से सभी लोगों द्वारा इसे पन्ना मिया की जगह पन्ना मीणा की बावड़ी ही माना जाता है।

पन्ना मीणा कुंड के पास घूमने की जगह - Places to visit near Panna Meena Kund


अगर हम पन्ना मीणा कुंड के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप बिहारीजी मंदिर, अंबिकेश्वर महादेव मंदिर, जगत शिरोमणि मंदिर, सागर झील और आमेर महल देख सकते हैं।

पन्ना मीणा कुंड कैसे जाएँ? - How to reach Panna Meena Kund?


अब हम बात करते हैं कि पन्ना मीणा कुंड कैसे जाएँ? यह बावड़ी जयपुर के आमेर में सागर रोड़ पर अंबिकेश्वर महादेव मंदिर के पास बनी हुई है।

जयपुर रेलवे स्टेशन से इस बावड़ी की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है। इस बावड़ी तक आप कार या बाइक से जा सकते हैं।

यहाँ जाने के लिए आपको जयपुर रेलवे स्टेशन से जलमहल होते हुए आमेर महल तक आना होगा। अगर आप कार से आ रहे हैं तो आपको आमेर महल से आगे पहले चौराहे से थोड़ा आगे तिराहे से लेफ्ट लेकर अनोखी म्यूजियम के पास मौजूद पन्ना मीणा कुंड आना है।

यहाँ से वापस जाते समय आपको इधर से ही आगे लेफ्ट टर्न लेकर मुख्य सड़क के चौराहे पर आना है। फिर यहाँ से राइट टर्न लेकर आमेर महल के सामने वाली सड़क से वापस जलमहल होते हुए आना है।

किसी भी परेशानी से बचने के लिए ध्यान रखें कि अगर आप कार से जा रहे हैं तो आमेर महल के आगे से रास्ता जाने का अलग है और आने का अलग है।

अगर आप ऐतिहासिक स्थलों के साथ राजस्थान की प्राचीन जल संरक्षण प्रणाली को देखना चाहते हैं तो आपको एक हजार साल से भी ज्यादा पुरानी इस बावड़ी को जरूर देखना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

पन्ना मीणा कुंड की मैप लोकेशन - Map Location of Panna Meena Kund



पन्ना मीणा कुंड का वीडियो - Video of Panna Meena Kund



पन्ना मीणा कुंड की फोटो - Photos of Panna Meena Kund


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। इस जानकारी को विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से लिया गया है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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