दिन में कई बार रंग बदलती है यह हवेली - Rampuria Haveli in Hindi

दिन में कई बार रंग बदलती है यह हवेली - Rampuria Haveli in Hindi, इसमें बीकानेर की प्रसिद्ध रामपुरिया हवेली समूह के बारे में जानकारी दी गई है।

Rampuria Haveli in Hindi

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आज हम आपको एक ऐसी हवेली के बारे में बताने वाले हैं जो अपनी शानो-शौकत और आर्किटेक्चर में देसी ही नहीं विदेशी हवेलियों को भी पीछे छोड़ देती है।

गुलाबी लाल रंग के बलुआ पत्थरों से बनी इस हवेली के बारे में बताया जाता है कि ढलते सूरज की किरणों में इसका रंग बदलकर और भी ज्यादा आकर्षक हो जाता है।

ऐसा बताया जाता है कि हवेली के मालिक काफी धनी व्यापारी थे। इन्होंने यहाँ के राजा को नहर बनाने के लिए काफी पैसा कर्ज में दिया था। राजा ने कर्ज चुकाने के लिए इन्हें ये हवेली दे दी थी।

आइए आज हम इस गुलाबी लाल रंग की शानदार हवेली को करीब से देखकर इसके इतिहास को जानने की कोशिश करते हैं। आइए शुरू करते हैं।

रामपुरिया हवेली की विशेषता - Features of Rampuria Haveli


इस हवेली को रामपुरिया हवेली के नाम से जाना जाता है जो यहाँ पर मौजूद नौ हवेलियों का एक ग्रुप है। ये सभी नौ हवेलियाँ एक ही परिवार ने बनवाई थी।

इन हवेलियों के बीच की पतली गलियों में घूमते समय आपको ऐसा लगेगा ही नहीं कि आप भारत के किसी शहर में घूम रहे हैं। ये तंग गलियाँ, इनमें घूमने वालों को यूरोप के किसी शहर में घूमने जैसा एहसास कराती हैं। 

इन हवेलियों में से एक हवेली को टाइटैनिक हवेली कहते हैं क्योंकि इस हवेली के सामने का हिस्सा टाइटैनिक जहाज जैसा लगता है।

यह टाइटैनिक हवेली न्यूयॉर्क सिटी के एक बंद हो चुके रेस्टोरेंट डेलमोनिको की बिल्डिंग जैसी दिखती है। आपको बता दें कि 1827 ईस्वी में बनी डेलमोनिको रेस्टोरेंट की बिल्डिंग काफी खूबसूरत है।

रामपुरिया हवेली की सबसे बड़ी खास बात यह है कि धूप की किरणों के साथ इसकी दीवारों का रंग बदलने लगता है। सुबह, दोपहर और शाम के समय हवेली का रंग बदला हुआ दिखाई देता है।

तेज धूप में हवेली के दरवाजों और खिड़कियों पर लगे काँच चमकने लगते हैं और हवेली का रंग चटक लाल हो जाता है। शाम के समय हल्की धूप में हवेली का रंग सबसे ज्यादा सुंदर हो जाता है।

रामपुरिया हवेली की वास्तुकला देखने लायक है। ये हवेली राजपूती और ब्रिटिश वास्तुकला के संगम का एक बेहतरीन उदाहरण है।

ये हवेली दुलमेरा (Dulmera) के गुलाबी लाल रंग के बलुआ पत्थर से बनी हुई है। बीकानेर से 65 किलोमीटर दूर दुलमेरा की खदानों से निकलने वाले इस लाल पत्थर को स्थानीय भाषा में ‘माखणिया भाटा’ भी कहा जाता है।

इस पत्थर से बीकानेर के जूनागढ़ किले और रामपुरिया हवेली के साथ दूसरी कई शानदार इमारतें बनाई गई हैं। सॉफ्ट नेचर की वजह से यह पत्थर बारीक नक्काशी के लिए पसंद किया जाता रहा है।

रामपुरिया हवेली ग्रुप अपने झरोखों, खिड़कियों और दरवाजों, जालीदार नक्काशियों, भित्तिचित्रों और काँच की कलाकृतियों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है।

टाइटैनिक हवेली की बाहरी दीवार पर कुछ विदेशी हस्तियों के चित्र लगे हुए हैं जिनमें एक चित्र किंग जॉर्ज का बताया जाता है।

रामपुरिया हवेली के सामने फोटोग्राफी करने के लिए देशी और विदेशी पर्यटकों की काफी भीड़ लगी रहती है।

रामपुरिया परिवार की निजी संपत्ति होने की वजह से इस हवेली को अंदर से देखने की अनुमति नहीं है। आप बाहर से बिना किसी टिकट के गलियों में घूमते हुए इसे देख सकते हैं।

रामपुरिया हवेली का इतिहास - History of Rampuria Haveli


अगर हम इस हवेली के इतिहास के बारे में बात करें तो ऐसा बताया जाता है कि 1920 में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह अपनी रियासत के लिए नहर बनवा रहे थे तब उनके पास पैसा कम पड़ गया।

तब महाराजा ने उस समय के धनवान कारोबारी भँवर लाल रामपुरिया से पैसा उधार लिया और बदले में हवेली दे दी।

जब 1925 में हवेली बनकर तैयार हुई तब रामपुरिया परिवार इसमें रहने लगा। रामपुरिया परिवार की वजह से इस हवेली का नाम रामपुरिया हवेली पड़ गया।

बाद में रामपुरिया परिवार ने इस जगह कुल नौ हवेलियाँ बनवा ली। आज जो हम ये हवेलियाँ देखते हैं ये सभी एक ही परिवार द्वारा बनवाई गई हैं।

इन हवेलियों में से एक हवेली को भँवर निवास होटल बना दिया गया है जिसे रामपुरिया परिवार चलाता है। आज ये हवेलियाँ अपने भीतर एक भव्य इतिहास समेटे एकदम शांत खड़ी हैं।

रामपुरिया हवेली के पास घूमने की जगह - Places to visit near Rampuria Haveli


अगर हम रामपुरिया हवेली के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप बीकानेर का जूनागढ़ किला, भांडाशाह जैन मंदिर, सूरसागर झील, गंगा सिंह म्यूजियम, राजाओ की छतरियाँ और देवीकुंड सागर आदि जगह देख सकते हैं।

रामपुरिया हवेली कैसे जाएँ? - How to reach Rampuriya Haveli?


अब हम बात करते हैं कि रामपुरिया हवेली कैसे जाएँ? रामपुरिया हवेली बीकानेर शहर के बीच में बनी हुई है। बीकानेर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी लगभग सवा किलोमीटर है।

इस हवेली तक आप बाइक और ऑटो से जा सकते हैं। हवेली के बीच की पतली गलियों में पैदल घूमने का मजा कुछ और ही है।

अगर आप पुरानी हवेलियों के इतिहास और इनकी खूबसूरती को देखने में रुचि रखते हैं तो आपको बीकानेर की रामपुरिया हवेली को जरूर देखना चाहिए।

आज के लिए बस इतना ही, उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी। कमेन्ट करके अपनी राय जरूर बताएँ।

इस तरह की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

रामपुरिया हवेली की मैप लोकेशन - Map location of Rampuria Haveli



रामपुरिया हवेली का वीडियो - Video of Rampuria Haveli



रामपुरिया हवेली की फोटो - Photos of Rampuria Haveli


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लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ। मेरी क्वालिफिकेशन M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS है। मुझे पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को करीब से देखना, इनके इतिहास के बारे में जानना और प्रकृति के करीब रहना बहुत पसंद है। जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं इनसे मिलने के लिए घर से निकल जाता हूँ। जिन धरोहरों को देखना मुझे पसंद है उनमें प्राचीन किले, महल, बावड़ियाँ, मंदिर, छतरियाँ, पहाड़, झील, नदियाँ आदि प्रमुख हैं। जिन धरोहरों को मैं देखता हूँ, उन्हें ब्लॉग और वीडियो के माध्यम से आप तक भी पहुँचाता हूँ ताकि आप भी मेरे अनुभव से थोड़ा बहुत लाभ उठा सकें।

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