करणी माता के मंदिर का रहस्य - Mystery of Karni Mata Mandir, इसमें बीकानेर के देशनोक में मौजूद करणी माता के चमत्कारी मंदिर के रहस्यों की जानकारी है।
आज हम आपको माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसमें चूहों को भगवान के बराबर दर्जा मिला हुआ है और इनके दर्शन को शुभ माना जाता है।
मंदिर में चूहों के महत्व का पता इस बात से चलता है कि माता के चढ़ने वाले प्रसाद को ये चूहे खाते रहते हैं और इसी प्रसाद को भक्तों में बाँटा जाता है।
मंदिर में हजारों की संख्या में इतने ज्यादा चूहे रहते हैं कि इसका नाम ही चूहों वाला मंदिर पड़ गया है। ये सभी चूहे माता के वंशज माने जाते हैं और इनमें कुछ चूहे सफेद रंग के हैं।
ऐसा माना जाता है कि जिस किसी को भी इस मंदिर में सफेद चूहे के दर्शन हो जाते हैं इसका मतलब उसे साक्षात माताजी के दर्शन हो गए हैं।
लोकदेवी के रूप में पूजे जाने वाली माता को लोकल भाषा में दाढ़ी वाली डोकरी कहा जाता है क्योंकि इन्होंने 151 साल का लंबा जीवन जिया था और वृद्धावस्था में इनके दाढ़ी आ गई थी
इनकी चमत्कारिक शक्तियों की वजह से पूरी दुनिया में इन्हें करणी माता के नाम से जाना जाता है। बीकानेर के देशनोक कस्बे में बना माता के मंदिर का गर्भगृह वह जगह है जहाँ पर करणी माता आज से लगभग 550 साल पहले रहा करती थी।
गुफा जैसी इस जगह को करणी माता ने अपने हाथों से रहने के लिए गुंभारे के रूप में बनाया था। इस गुंभारे में जैसलमेर के बन्ना खाती द्वारा बनाई गई जैसलमेरी पत्थर से बनी माता की मूर्ति विराजमान है। बन्ना खाती अंधा था जिसे माता ने विशेष दृष्टि देकर दर्शन दिए थे।
लेखक (Writer)
रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}
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